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Showing posts from November, 2025

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ से प्रेरणा: राजस्थान सरकार का सैनिक कल्याण की ओर ठोस कदम

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  प्रत्येक सैनिक का जीवन त्याग और समर्पण की एक अनूठी मिसाल होता है। कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ जैसे वीरों की गाथाएं हमें यह एहसास दिलाती हैं कि सीमाओं पर बिताई गई उनकी रातें हमारे लिए एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण सुबह लेकर आती हैं। उनकी अद्वितीय वीरता के साथ-साथ, उनके परिवारों का अटूट धैर्य भी हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में, जिन्होंने सदैव सैनिकों के कल्याण को राष्ट्रीय नीति के केंद्र में रखा है, राजस्थान सरकार भी इस कृतज्ञता को ठोस शासनिक कार्यों में बदलने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। युद्ध में घायल सैनिकों के लिए ऐतिहासिक प्रस्ताव हमारे सैनिक जब युद्ध के मैदान में घायल होते हैं, तो उनका शारीरिक जीवन बदल सकता है, लेकिन उनका जज़्बा और देशभक्ति कभी कम नहीं होती। इसी जज़्बे को सलाम करते हुए, राजस्थान सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। सैनिक कल्याण विभाग ने वर्ष 2024 में ही एक लिखित प्रस्ताव रखा था, जिसके तहत युद्ध में घायल होने वाले सैनिकों को, उनकी सैन्य सेवा के बाद भी, राज्य सरकार द्वारा सरकारी नौकरी देने का प्रावधान कि...

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़: रात 12 बजे बुलेट पर निकले मंत्री और जयपुर की सड़कों का सच!

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  हैलो दोस्तों, जयपुर की खूबसूरती की चर्चा दूर-दूर तक होती है। लेकिन क्या इस खूबसूरती के पीछे का इन्फ्रास्ट्रक्चर भी उतना ही मजबूत है? इस सवाल का जवाब ढूंढने निकले हैं राजस्थान के शहरी विकास और आवास मंत्री, कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ । और उनका तरीका काफी अनोखा और दमदार है! हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें मंत्री जी रात के 12 बजे अपनी बुलेट मोटरसाइकिल पर सवार होकर जयपुर की सड़कों का निरीक्षण करते नजर आ रहे हैं। यह कोई स्टंट नहीं, बल्कि एक गंभीर जिम्मेदारी का एहसास है। क्यों निकले रात के अंधेरे में मंत्री जी? वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि मंत्री जी सड़कों पर पड़े गड्ढों, टूटी-फूटी सड़कों और खराब स्थितियों को अपनी आँखों से देख रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि  "पिछली सरकार ने सिर्फ डामर लेपा, काम नहीं किया।"  यह बयान सीधे-सीधे पिछली सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है। जनता की आवाज बने मंत्री यह घटना दिखाती है कि एक जिम्मेदार नेता सिर्फ दिन के उजाले में फोटो खिंचवाने या भाषण देने तक सीमित नहीं रहता। असली हालात तो रात के समय, जब सड़कें खाली होती हैं, तब सा...

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का सपना: झोटवाड़ा बनेगा विकास का 'मॉडल', इतिहास रचेगी आने वाली पीढ़ी

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  हम अक्सर राजनीतिक नेताओं से विकास के वादे सुनते हैं। लेकिन कभी-कभी कोई ऐसा विजन सामने आता है जो सिर्फ एक वादा नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक बदलाव की नींव रखने का संकल्प लगता है। ऐसा ही एक सपना कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने जयपुर के झोटवाड़ा क्षेत्र के लिए देखा है। हाल ही में, उन्होंने स्पष्ट कहा –  "झोटवाड़ा को मॉडल क्षेत्र बनाएं: आने वाली पीढ़ियां कहें- यहीं से विकास की दिशा बदली थी।" यह सिर्फ एक नारा नहीं है। यह एक मंत्र है, एक दृष्टि है जो वर्तमान को बदलने और भविष्य को गढ़ने की बात करती है। क्यों खास है यह बयान? झोटवाड़ा, जयपुर का एक प्रमुख और घनी आबादी वाला इलाका है, जिसे अक्सर बुनियादी सुविधाओं की कमी और उपेक्षा के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन राठौड़ का यह बयान इस धारणा को पलटने की कोशिश है। वह झोटवाड़ा को 'समस्या' के तौर पर नहीं, बल्कि 'संभावना' के केंद्र के रूप में देख रहे हैं। 'मॉडल क्षेत्र' से क्या तात्पर्य है? एक मॉडल क्षेत्र का मतलब सिर्फ साफ-सुथरी सड़कें और नालियां नहीं है। इसका मतलब है: समग्र विकास:  शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी ढां...

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का आह्वान: इस दीपावली, जलाएं स्वदेशी के दीए, मजबूत करें आत्मनिर्भर भारत का संकल्प

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दीपावली का त्योहार सिर्फ रोशनी, पटाखे और मिठाइयों का नहीं, बल्कि आत्मा के आंतरिक प्रकाश और नए सिरे से शुरुआत का प्रतीक है। इसी कड़ी में, केंद्रीय मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने एक बहुत ही सारगर्भित और प्रेरणादायक विचार रखा है। उन्होंने कहा है कि   "दीपावली स्वदेशी का उत्सव"   है और इस अवसर पर हमें   "आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को मजबूत"   करना चाहिए। उनका यह संदेश सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक स्पष्ट रोडमैप है। उन्होंने हमारे संकल्प को तीन स्पष्ट स्तंभों पर खड़ा किया है:  "उत्पाद में स्वदेशी, तकनीक में स्वदेशी, विचार में भी स्वदेशी।" आइए, इस दीपावली इन तीनों बिंदुओं पर गहराई से विचार करें। 1. उत्पाद में स्वदेशी: घर-घर का आर्थिक यज्ञ दीपावली पर हम नए कपड़े, बर्तन, मिठाइयाँ, घर की सजावट और उपहार खरीदते हैं। यही वह समय है जब हम अपनी खरीदारी की शक्ति का उपयोग कर सकते हैं। जब हम भारतीय कंपनियों के उत्पाद, हस्तशिल्प कारीगरों द्वारा बनाई गई वस्तुएं और स्थानीय बाजारों की मिठाइयाँ खरीदते हैं, तो यह सिर्फ एक खरीदारी नहीं रह जाती। यह देश की अर्थव्यवस्था को मजब...

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का बयान: 'कांग्रेस के दौर में फाइलें अटकती थीं, अब विकास दौड़ता है'

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  आज का दौर राजनीतिक बहसों और विकास के दावों का दौर है। ऐसे में, केंद्रीय मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का एक बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। उन्होंने कहा है,  "कांग्रेस के दौर में फाइलें अटकती थीं, अब विकास दौड़ता है।" यह सिर्फ एक राजनीतिक वक्तव्य नहीं, बल्कि वर्तमान सरकार के काम करने के तरीके को परिभाषित करने वाला एक नारा बन गया है। आइए, इस बयान के गहरे मायने और इसके पीछे के संदेश को समझने की कोशिश करते हैं। क्या कहता है इतिहास? "फाइलें अटकती थीं" कर्नल राठौड़ के इस बयान का पहला हिस्सा पुरानी व्यवस्था पर एक तीखा प्रहार है। "फाइलें अटकना" एक मुहावरा है, जो लालफीताशाही (Red Tapism), भ्रष्टाचार, नौकरशाही की ढिलाई और निर्णय लेने में होने वाली देरी को दर्शाता है। यह उस समय की याद दिलाता है जब कोई भी बड़ा प्रोजेक्ट या जनहित से जुड़ा काम बिना किसी अड़चन के आगे नहीं बढ़ पाता था। आम आदमी की समस्याएं फाइलों के ढेर में दबकर रह जाती थीं। वर्तमान का दावा: "विकास दौड़ता है" बयान का दूसरा हिस्सा वर्तमान सरकार की कार्यशैली पर जोर देता है। "विकास दौड़...

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ की बड़ी पहल: राजस्थान सरकार ने सैनिक कल्याण को समर्पित किए 406 करोड़ रुपये!

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हमारे सैनिक देश की सीमा की रक्षा के लिए दिन-रात तैनात रहते हैं। उनका त्याग और बलिदान अतुलनीय है। ऐसे में राजस्थान सरकार ने हमारे इन वीर सपूतों के कल्याण के लिए एक ऐतिहासिक और सराहनीय कदम उठाया है। राज्य के सैनिक कल्याण राज्यमंत्री,  कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़  ने हाल ही में एक बड़ी घोषणा करते हुए  सैनिक कल्याण योजनाओं के लिए 406 करोड़ रुपये की राशि  समर्पित की है। यह फैंड सैनिकों और उनके परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य से है। इस ऐतिहासिक फैंड के प्रमुख बिंदु क्या हैं? युद्ध में घायल सैनिकों को सीधी नौकरी:  अब युद्धक्षेत्र में घायल होने वाले सैनिकों को राज्य सरकार द्वारा सीधी नौकरी प्रदान की जाएगी। यह कदम न केवल उनके भविष्य को सुरक्षित करेगा, बल्कि उनके मनोबल को भी ऊँचा उठाएगा। वीरता पदक प्राप्त सैनिकों की सम्मान राशि में वृद्धि:  हमारे वीर सैनिक, जिन्होंने अपनी असाधारण वीरता के लिए पदक प्राप्त किए हैं, उनकी मासिक सम्मान राशि में बढ़ोतरी की गई है। यह वृद्धि उनके सम्मान और उनके परिवार के जीवन स्तर को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर...

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ - भारत के स्वर्णिम लक्ष्य की त्रि-विजय! अवनि लेखरा ने रचा इतिहास

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प्रिय पाठकों, भारतीय खेल इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में एक और ऐतिहासिक पल जुड़ गया है। टोक्यो पैरालिंपिक 2020 की स्वर्ण पदक विजेता, हमारी 'गोल्डन गर्ल' अवनि लेखरा ने एक बार फिर दुनिया को दिखा दिया है कि हौसला और कठिन परिश्रम की कोई सीमा नहीं होती। वर्ल्ड पैरा शूटिंग वर्ल्ड कप 2025, अल ऐन में अवनि ने जो करिश्मा किया, वह सिर्फ तीन पदकों की कहानी नहीं है; यह दृढ़ संकल्प, अटूट फोकस और देश के लिए गर्व की भावना की मिसाल है।  एक स्वर्ण और दो रजत पदकों  की हैट्रिक के साथ, उन्होंने न सिर्फ अपने नाम का डंका बजाया, बल्कि पूरे भारत का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया। यह "त्रि-विजय" (Hat-trick) उनकी लगन का फल है। कोई भी लक्ष्य उनके लिए बड़ा नहीं है। टोक्यो के बाद, दुनिया भर की निगाहें उन पर टिकी थीं, और अवनि ने साबित कर दिया कि वह एक "वंडर गर्ल" नहीं, बल्कि एक "चैंपियन" हैं, जो लगातार अपने ही रिकॉर्ड तोड़ने में विश्वास रखती हैं। अवनि का यह सफर हम सभी के लिए एक प्रेरणा है। उनकी सफलता यह संदेश देती है कि शारीरिक चुनौतियाँ कभी भी आपके सपनों की उड़ान में बाधक नहीं बन सकतीं...

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़: 48 पदक और भारत का अटूट जज़्बा!

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नमस्कार दोस्तों! एक ऐसा नाम जो भारतीय खेल जगत में साहस, अनुशासन और सफलता का पर्याय बन गया है - कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ । और आज, उनके नेतृत्व में, भारत ने एशियाई युवा खेलों 2025 में इतिहास रच दिया है! एक ओलंपिक पदक विजेता और एक सच्चे सैनिक की दृढ़ता से प्रेरित होकर, हमारे युवा खिलाड़ियों ने शानदार  48 पदक  हासिल किए और समग्र रैंकिंग में  छठा स्थान  प्राप्त किया। यह सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है; यह एक नए भारत की गाथा है - एक ऐसे भारत की जो सपनों से नहीं, जुनून और मेहनत से चलता है। यह "बेस्ट एवर मेडल टैली" हमें क्या सिखाती है? जज़्बा हर मुश्किल को आसान कर देता है:  हर पदक के पीछे है अनगिनत घंटों की कड़ी मेहनत, त्याग और एक अदम्य इच्छाशक्ति। सही मार्गदर्शन का महत्व:  कर्नल राठौड़ जैसे नेता युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, जो यह साबित करते हैं कि भारतीय खिलाड़ी दुनिया के सर्वश्रेष्ठों को टक्कर दे सकते हैं। भविष्य उज्ज्वल है:  ये युवा चैंपियन भारत के खेल भविष्य की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। यह सफलता आने वाले वर्षों में और भी बड़ी जीत की शुरुआत मात्र है...

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़: एक सैनिक का जीवन त्याग का प्रतीक और राष्ट्र का कर्तव्य

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हमारे देश की भूमि पर अनेक वीरों ने जन्म लिया है, जिन्होंने अपने जीवन की आहुति देकर 'सेवा परमो धर्म:' का पालन किया है। ऐसे ही एक महान व्यक्तित्व हैं   कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ । उनका जीवन केवल एक परिचय नहीं, बल्कि एक सैनिक के उस अटूट त्याग, साहस और कर्तव्यनिष्ठा की गाथा है, जो राष्ट्र के प्रति सम्मान की भावना को जन्म देती है। एक सैनिक का जीवन सुख-सुविधाओं का नहीं, बल्कि संघर्ष और त्याग का पाठ पढ़ाता है। कर्नल राठौड़ ने भारतीय सेना में अपनी सेवा के दौरान इस त्याग को जिया। सीमा पर तैनात एक सैनिक के रूप में, उन्होंने अपनी निजी ज़िंदगी के सुखों को पीछे छोड़ते हुए देश की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। यह त्याग ही तो है जो एक सैनिक को साधारण मनुष्य से ऊपर उठाकर 'रक्षक' बना देता है। लेकिन कर्नल राठौड़ की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने देश की सेवा के एक नए मोर्चे पर अपनी भूमिका निभाई - राजनीति के क्षेत्र में। एक सांसद और मंत्री के रूप में, उन्होंने देश के विकास और युवाओं के उत्थान के लिए कार्य किया। इससे स्पष्ट होता है कि एक सै...

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ और राजस्थान की एकता की नई गूँज

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राजस्थान की रेत न केवल अपने सुनहरे रंग के लिए, बल्कि अब एक नए जोश और एकता की गूँज के लिए गूँज रही है। कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ के नेतृत्व में, यह माटी एक जीवंत, स्पंदनशील शक्ति बन गई है, जहाँ हर चेहरे पर जोश और हर कदम में राष्ट्र निर्माण की ऊर्जा साफ देखी जा सकती है। यह केवल एक राजनीतिक रैली या प्रचार नहीं है। यह एक भावना है, एक जनआंदोलन है। यह वही भावना है जिसने सरदार वल्लभभाई पटेल जी को भारत की 562 रियासतों को एक सूत्र में पिरोकर 'लौह पुरुष' बना दिया। उन्होंने साबित किया था कि एकजुटता ही वह मंत्र है जो असंभव को संभव बना सकती है। और आज, राजस्थान की जनता उसी मंत्र को दोहरा रही है। कर्नल राठौड़ के माध्यम से, यह एकजुटता का स्वर और तेज हो रहा है। यह जनता की ताकत का प्रतीक है – वह ताकत जो सरकारों को बनाती और बदलती है, वह ताकत जो विकास की नींव रखती है। यह #UnityMarch सिर्फ एक मार्च नहीं, बल्कि एक वादा है। एक ऐसे एकजुट राजस्थान का वादा, जो अपनी समृद्ध विरासत को सँभाले तो हो, लेकिन आधुनिक विकास की राह पर भी अग्रसर हो। एक ऐसे राज्य का वादा, जहाँ हर युवा के पास अवसर हो, हर किसान की उन्न...

हिंदी साहित्य के स्तंभ: आदरणीय श्री रामदरश मिश्र जी को विनम्र श्रद्धांजलि

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  आज का दिन हिंदी साहित्य जगत के लिए अत्यंत दुःखद और अपूरणीय क्षति का दिन है। कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ जी के शब्दों के माध्यम से हमें यह जानकर गहरा आघात पहुंचा है कि साहित्यकार और शिक्षाविद् श्री रामदरश मिश्र जी का निधन हो गया है। श्री मिश्र जी ने अपनी सशक्त लेखनी और गहन विचारों से हिंदी साहित्य को जो दिशा दी, वह अतुलनीय है। उनकी रचनाएँ—कहानियाँ, उपन्यास, कविताएँ और आलोचनात्मक लेख—न केवल साहित्य का अमूल्य धरोहर हैं, बल्कि मानवीय मूल्यों और सामाजिक यथार्थ का सजीव दस्तावेज़ भी हैं। उनकी कलम से निकला हर शब्द पाठक के मन-मस्तिष्क पर एक अमिट छाप छोड़ जाता था। एक शिक्षाविद् के रूप में भी उन्होंने अनेक युवा मन को ज्ञान की रोशनी से प्रकाशित किया। उनका लेखन और शिक्षण दोनों ही भावी पीढ़ियों के लिए एक मशाल का काम करेंगे। वे केवल एक लेखक ही नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और प्रेरणा-पुरुष थे। इस दुःख की घड़ी में, हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और शोकाकुल परिवार, मित्रों तथा उनके असंख्य प्रशंसकों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। श्री रामदर...

प्रवासी राजस्थानी दिवस की बढ़ती तैयारियाँ: मुख्यमंत्री कार्यालय में हुई महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक

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नमस्कार पाठकगण! राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत और वैश्विक पहचान को मजबूती प्रदान करने वाले महत्वपूर्ण आयोजन  'प्रवासी राजस्थानी दिवस'  की तैयारियाँ अब अंतिम चरण में हैं। आगामी  10 दिसंबर  को जयपुर में होने वाले इस भव्य कार्यक्रम को लेकर आज मुख्यमंत्री कार्यालय में एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता  कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़  ने की। बैठक का मुख्य उद्देश्य आयोजन की सभी तैयारियों का सूक्ष्मता से जायजा लेना और इसे एक सफल, गरिमामय एवं सुव्यवस्थित कार्यक्रम बनाने के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करना था। बैठक के दौरान मुख्य रूप से निम्नलिखित बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा हुई: आयोजन की रूपरेखा:  कार्यक्रम के एजेंडे और समय-सारणी पर गहन मंथन किया गया। अतिथियों के आगमन एवं स्वागत:  देश-विदेश से आने वाले प्रतिष्ठित प्रवासी राजस्थानियों के आगमन, ठहरने और उनके स्वागत की व्यवस्थाओं पर चर्चा हुई। सांस्कृतिक कार्यक्रम:  राजस्थान की समृद्ध और रंगबिरंगी संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों की योजना पर प्रकाश डाला गया। स...

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ के साथ मनाएं खाटू श्याम जी का पावन जन्मोत्सव, बाबा श्याम का आशीर्वाद बरसें सभी पर

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  प्रिय पाठकगण, आज का दिन समस्त श्याम भक्तों के लिए अत्यंत ही पावन और उल्लासपूर्ण है। आज हम सभी भगवान श्री खाटू श्याम जी के पावन जन्मोत्सव को मना रहे हैं। इस शुभ अवसर पर कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ जी ने सभी देशवासियों और श्रद्धालुओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। बाबा श्याम, जिन्हें हम शीश के दानी और भक्तवत्सल के रूप में जानते हैं, उनकी कृपा अपने भक्तों पर सदैव बनी रहती है। उनका जन्मोत्सव केवल एक उत्सव ही नहीं, बल्कि श्रद्धा, समर्पण और आस्था का एक महान पर्व है। इस दिन हम सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ जी ने जिस सादर भावना से सभी को बधाई दी है, वह हम सभी के हृदय को स्पर्श करती है। उनकी यही कामना है, और हम सभी की भी, कि बाबा श्याम की अनंत कृपा से प्रत्येक परिवार के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का स्थायी निवास हो। आइए, हम सभी इस पावन पर्व पर अपने मन में दया, परोपकार और प्रेम की भावना को जगाएं। बाबा श्याम का स्मरण करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे हमारे, हमारे परिवार के और समस्त विश्व के कल्याण का मार्ग प्रशस्...

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ - संगम किनारे बड़े हनुमान जी के चरणों में

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हमारे देश की सेना में वे जवान केवल एक सिपाही नहीं होते, बल्कि देशभक्ति, कर्तव्य और समर्पण की एक जीती-जागती मिसाल होते हैं। ऐसे ही एक वीर सपूत थे कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़। उनकी शहादत ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था। लेकिन उनकी अंतिम यात्रा का एक पड़ाव, जो सबसे अधिक मर्मस्पर्शी और आत्मीय लगा, वह था प्रयागराज के संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान जी के मंदिर में। एक वीर की अंतिम विदाई जब कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ की पवित्र अर्थी उनके अंतिम गंतव्य की ओर ले जाई जा रही थी, तब रास्ते में उन्हें प्रयागराज में संगम के किनारे स्थित बड़े हनुमान जी के मंदिर में ले जाया गया। यह वही स्थान है जहाँ गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलन होता है, जिसे मोक्षदायिनी तीर्थ भी कहा जाता है। शक्ति और भक्ति के प्रतीक के चरणों में बड़े हनुमान जी इस इलाके के अत्यंत प्रसिद्ध और श्रद्धेय देवता हैं। हनुमान जी स्वयं भक्ति, शक्ति, और निष्ठा के प्रतीक हैं। एक सैनिक का जीवन भी इन्हीं मूल्यों पर चलता है। कर्नल राठौड़ की अर्थी को इन्हीं बजरंगबली के चरणों में रखा गया, मानो एक वीर योद्धा अपने अंतिम समय में उस परमशक्ति से आशीर्...

कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की अध्यक्षता में वार्षिक सैनिक कल्याण बैठक: जानिए किन महत्वपूर्ण फैसलों पर हुई मुहर

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  हमारे सैनिक देश की सीमाओं पर दिन-रात डटे रहते हैं, ताकि हम सुरक्षित और चैन की नींद सो सकें। उनका और उनके परिवारों का ख्याल रखना हम सभी का राष्ट्रीय कर्तव्य है। इसी जिम्मेदारी को निभाते हुए, राजस्थान सैनिक कल्याण बोर्ड की वार्षिक बैठक कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ (अध्यक्ष, राजस्थान सैनिक कल्याण बोर्ड) की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में हमारे जवानों और उनके परिवारों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई अहम और ठोस फैसले लिए गए। आइए, एक नजर डालते हैं उन प्रमुख निर्णयों पर: ✅ सैनिक कल्याण पोर्टल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का शुभारंभ सबसे बड़ा और सराहनीय कदम है एक डिजिटल पोर्टल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की शुरुआत। इसके जरिए अब हर सैनिक, वीरांगना और उनका परिवार सरकारी योजनाओं, नई घोषणाओं और कल्याणकारी फैसलों की जानकारी सीधे और आसानी से ऑनलाइन प्राप्त कर सकेंगे। यह पारदर्शिता और सुगमता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ✅ ₹406.46 करोड़ के आय-व्यय बजट को मंजूरी सैनिक कल्याण की विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं को गति देने के लिए बोर्ड ने 406 करोड़ 46 लाख रुपये के विशाल बजट को मंजूरी प्रदान...

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़: विविधता में एकता और एकता में शक्ति का जीवंत उदाहरण

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भारत की पहचान ही उसकी विविधता है। अलग-अलग भाषाएं, संस्कृतियां, धर्म और परंपराएं... ये सभी मिलकर एक सुंदर मोज़ेक बनाती हैं। लेकिन इस विविधता को एक सूत्र में पिरोकर शक्ति में बदलने की कला ही असली मंत्र है। और इस मंत्र को अपने जीवन में चरितार्थ करने वाली एक शख्सियत हैं - कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़। एक सैनिक: अनुशासन और देशभक्ति की एकता उनकी जीवन-यात्रा की शुरुआत एक सैनिक के रूप में हुई। सेना वह स्थान है जहां देश के कोने-कोने से आए युवा 'भारतीय' के एक ही उद्देश्य के लिए एकजुट होते हैं। कर्नल राठौड़ ने इस एकता की भावना को आत्मसात किया। सेना ने उनमें अनुशासन, साहस और सामूहिक सफलता पर विश्वास का बीजारोपण किया। एक खिलाड़ी: राष्ट्र के लिए एकजुट होती प्रतिभा जब वह निशानेबाजी की दुनिया में उतरे, तो यह एक व्यक्तिगत सफलता नहीं थी। एथेंस ओलंपिक 2004 में रजत पदक जीतकर उन्होंने पूरे देश को एक साथ जोड़ दिया। उस पदक में केवल उनकी मेहनत नहीं, बल्कि देश के कोच, सहयोगियों और करोड़ों देशवासियों की आशाओं की ऊर्जा समाई हुई थी। यह था  'विविधता में एकता'  का वह पल जब पूरा भारत एक ही धड़कन पर थ...