कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने दिए पदक, नए भारत के खिलाड़ियों को दिया प्रोत्साहन
जयपुर की धरती पर एक बार फिर खेलों का जलवा देखने को मिला। यहां चल रहे खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के तहत तीरंदाजी और निशानेबाजी जैसे महत्वपूर्ण स्पर्धाओं के विजेताओं को सम्मानित करने पहुंचे थे, ओलंपिक पदक विजेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़।
यह दृश्य केवल एक पदक वितरण समारोह नहीं था, बल्कि एक पुराने चैंपियन द्वारा नए चैंपियन्स को प्रोत्साहित करने का एक सुंदर अध्याय था। कर्नल राठौड़, जिन्होंने अपने लोहे के इरादों और निशानेबाजी के जरिए देश को अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाई, आज उसी मंच पर खड़े होकर भविष्य के चैंपियन्स को सम्मानित कर रहे थे।
एक चैंपियन, दूसरे चैंपियन्स को सलाम
जब राठौड़ खिलाड़ियों के गले में पदक पहना रहे थे, तो उनकी आंखों में वही चमक और गर्व झलक रहा था, जो कभी उनके अपने कोच और मार्गदर्शकों की आंखों में रहा होगा। यह एक ऐसा क्षण था जो खेलों की निरंतरता और विरासत को दर्शाता है। आज के ये युवा खिलाड़ी ही कल के ओलंपियन हैं, और उन्हें एक ऐसे व्यक्तित्व से प्रोत्साहन मिलना, जिसने यह सफर स्वयं तय किया है, अमूल्य है।
खेलो इंडिया: नई नींव का निर्माण
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स केवल एक प्रतियोगिता नहीं है; यह भारत के खेल पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने की एक मुहिम है। यह युवाओं को मंच देता है, उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाता है और उनके सपनों को पंख लगाता है। जब इस तरह के आयोजनों में कर्नल राठौड़ जैसे दिग्गज हिस्सा लेते हैं, तो इसका प्रभाव दोगुना हो जाता है। यह युवाओं के लिए केवल एक पदक नहीं, बल्कि एक सपना है जो साकार होता दिख रहा है।
नए भारत का नया आत्मविश्वास
इन युवा विजेताओं के चेहरे पर आत्मविश्वास साफ झलक रहा था। यह आत्मविश्वास एक 'नए स्पोर्टिंग इंडिया' का प्रतीक है - एक ऐसा भारत जो खेलों में केवल भाग लेने तक सीमित नहीं है, बल्कि जीतने के लिए दृढ़संकल्पित है। कर्नल राठौड़ जैसे लोग इसी दृढ़ संकल्प की प्रेरणा हैं।
आइए, हम सभी इन युवा खिलाड़ियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करें। उम्मीद है कि यह पदक उनकी सफलता की सीढ़ी का पहला कदम साबित होगा और वे दिन दूर नहीं जब यही चेहरे विश्वस्तर पर तिरंगा लहराते नजर आएंगे।
जय हिंद!

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