कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ और 26/11 के अमर शहीद: मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान
26 नवंबर, 2008 का वह काला दिन भारत के इतिहास में एक गहरे जख्म की तरह दर्ज है। मुंबई, जो देश की आर्थिक राजधानी और सपनों का शहर है, वह आतंकवादियों के निशाने पर था। उस भीषण त्रासदी में, जहाँ निर्दोष नागरिकों की जानें गईं, वहीं भारत माता के कुछ सच्चे सपूतों ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। उन्हीं में से एक नाम है, कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़।
कर्नल राठौड़ नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) के '51 स्पेशल एक्शन ग्रुप' के कमांडिंग ऑफिसर थे। जब ताज महल पैलेस होटल को आतंकवादियों ने अपने कब्जे में ले लिया, तो कर्नल राठौड़ अपनी टीम के साथ सबसे आगे थे। उनकी कमांड में कमांडो आतंकवादियों का सफाया करते हुए बंधकों को सुरक्षित निकाल रहे थे।
लेकिन दुश्मन छिपा हुआ था और मिशन अत्यंत जोखिम भरा। होटल की एक मंजिल पर मुठभेड़ के दौरान, कर्नल राठौड़ गंभीर रूप से घायल हो गए। उनके सीने पर गोली लगी थी। इसके बावजूद, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी टीम का मनोबल बनाए रखा। अंततः अपनी जान गंवाकर भी उन्होंने मिशन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का बलिदान केवल एक सैनिक की मौत नहीं है। यह साहस, कर्तव्य और देशभक्ति की वह अमर गाथा है, जो हर भारतीय के दिल में सम्मान की लौ जलाए रखेगी। वह मां भारती के वीर सपूत थे, जिन्होंने 'कार्य करने तक कर्तव्य' का पालन करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया।
आज, हम सिर्फ कर्नल राठौड़ को ही नहीं, बल्कि उन सभी वीर जवानों को याद करते हैं - मेजर सैंडहू, हवलदार गजेंद्र सिंह, और NSG, पुलिस, मुंबई एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड के अन्य शूरवीरों को, जो उस रात शहीद हुए। साथ ही, हम उन सभी निर्दोष नागरिकों को भी अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जो इस हमले में अपनी जान गंवा बैठे।
यह श्रद्धांजलि केवल शब्दों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। हमारा कर्तव्य है कि हम उनके बलिदान का मूल्य समझें, एकजुट रहें और आतंकवाद के खिलाफ सजग रहकर एक मजबूत, सुरक्षित भारत का निर्माण करें। यही उन अमर आत्माओं के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
जय हिंद। शहीदों को नमन।

Comments
Post a Comment