कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ - संविधान दिवस: लोकतंत्र की आत्मा को नमन

 


हमारा पवित्र संविधान: भारत की आत्मा और लोकतंत्र की सबसे मजबूत आधारशिला

आज, संविधान दिवस के पावन अवसर पर, कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ समस्त देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हैं। यह वह ऐतिहासिक दिन है जब 1949 में, स्वतंत्र भारत ने औपचारिक रूप से दुनिया के सबसे बड़े और सबसे विस्तृत लिखित संविधान को अपनाया था। यह केवल एक कानूनी दस्तावेज़ नहीं है; यह हमारे राष्ट्र का मार्गदर्शक दर्शन और प्रत्येक भारतीय की आकांक्षाओं का प्रतीक है।

कर्नल राठौड़ ने इस अवसर पर संविधान के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा:

"हमारा पवित्र संविधान भारत की आत्मा, लोकतंत्र की सबसे मजबूत आधारशिला और प्रत्येक नागरिक के सम्मान, अधिकार व समान अवसरों का संवाहक है।"

✨ संविधान: सम्मान, अधिकार और समान अवसर

हमारा संविधान, जिसके निर्माण में डॉ. बी.आर. अंबेडकर और कई महान नेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, निम्नलिखित तीन स्तंभों पर मजबूती से टिका है:

  1. प्रत्येक नागरिक का सम्मान (Dignity): संविधान सुनिश्चित करता है कि देश के हर व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के मानवीय गरिमा और सम्मान के साथ जीने का अधिकार मिले।

  2. अधिकारों का कवच (Rights): इसने हमें मौलिक अधिकार दिए हैं—समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार—जो नागरिक और राज्य के बीच एक अटूट विश्वास का बंधन बनाते हैं।

  3. समान अवसरों का संवाहक (Equal Opportunities): संविधान का दर्शन यह सुनिश्चित करता है कि जन्म या पृष्ठभूमि के आधार पर नहीं, बल्कि योग्यता और परिश्रम के आधार पर हर व्यक्ति को आगे बढ़ने का समान अवसर मिले।

⚖️ लोकतंत्र की सबसे मजबूत आधारशिला

एक मजबूत राष्ट्र के लिए मजबूत नींव आवश्यक है। हमारा संविधान वह आधारशिला है, जिसने पिछले सात दशकों में भारत के विविधतापूर्ण लोकतंत्र को सफलतापूर्वक संभाला है।

  • यह विभिन्न विचारधाराओं, भाषाओं और संस्कृतियों के बीच सामंजस्य स्थापित करता है।

  • यह न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के बीच शक्तियों का स्पष्ट पृथक्करण सुनिश्चित करता है, जिससे शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहती है।


✅ संकल्प: संविधान की भावना को बनाए रखना

संविधान दिवस केवल उत्सव का नहीं, बल्कि चिंतन और संकल्प का दिन है। यह हमें याद दिलाता है कि संविधान की रक्षा करना और उसकी भावना को अपने दैनिक जीवन में उतारना—विशेष रूप से मौलिक कर्तव्यों का पालन करना—प्रत्येक नागरिक का प्राथमिक कर्तव्य है।

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ समस्त देशवासियों से आह्वान करते हैं कि हम संविधान में निहित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल्यों को हमेशा संजोए रखें और एक 'विकसित भारत' के निर्माण के लिए संवैधानिक मार्ग पर अडिग रहें।

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