कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़: खेलों से लेकर राजनीति तक, एक अदम्य जिजीविषा की कहानी
हैलो दोस्तों!
आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे शख्स की जिन्होंने न सिर्फ खेल के मैदान में तिरंगा लहराकर देश का गौरव बढ़ाया, बल्कि राजनीति के क्षेत्र में आकर भी देशसेवा का जज्बा बनाए रखा। ये नाम है - कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़।
अभी हाल ही में, ट्रिब्यून जैसे प्रतिष्ठित अखबार के प्लेटफॉर्म पर उनके बारे में एक लेख और Khelo India University Games के उद्घाटन समारोह में उनकी मौजूदगी ने एक बार फिर से उन्हें चर्चा में ला दिया है। तो आइए, जानते हैं उनके सफर के कुछ अहम पड़ाव।
सैन्य पृष्ठभूमि और शुरुआती जीवन
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का जन्म एक राजपूत परिवार में हुआ था और उन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली के एक प्रतिष्ठित स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) और भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) से प्रशिक्षण लेकर भारतीय सेना में कर्नल के पद तक अपनी सेवाएं दीं। सेना का अनुशासन और देशभक्ति की भावना उनके व्यक्तित्व का अभिन्न अंग बन गई।
एथेंस ओलंपिक 2004: वह ऐतिहासिक पल
सन् 2004 का एथेंस ओलंपिक भारत के लिए एक सुनहरे इतिहास के साथ दर्ज हुआ। राज्यवर्धन राठौड़ ने डबल ट्रैप स्पर्धा में रजत पदक (Silver Medal) जीतकर इतिहास रच दिया। यह भारत का उस ओलंपिक में एकमात्र पदक था और व्यक्तिगत स्पर्धा में जीता गया यह पहला रजत पदक था। जब तिरंगा लहराया और राष्ट्रगान बजा, उस पल ने पूरे देश को एक नई ऊर्जा और गर्व से भर दिया।
राजनीतिक सफर: सांसद से कैबिनेट मंत्री तक
सफल खिलाड़ी के बाद उनके अंदर का 'देशसेवक' एक नए रूप में सामने आया। वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़े और जयपुर के सांसद चुने गए। अपनी मेहनत और लगन के दम पर उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण पदों like सूचना एवं प्रसारण मंत्री और युवा मामले एवं खेल मंत्री का दायित्व संभाला। खेल मंत्री के रूप में उन्होंने 'Khelo India' जैसे अभियानों को नई गति दी।
Khelo India University Games 2025: प्रेरणा का स्रोत
24 नवंबर, 2025 को हुए Khelo India University Games के उद्घाटन समारोह में उनकी मौजूदगी बेहद खास रही। मंत्री मनसुख मंडाविया के साथ मिलकर उन्होंने युवा खिलाड़ियों का जोश बढ़ाया। एक पूर्व ओलंपियन और सफल मंत्री के तौर पर उनके शब्द नौजवान खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का एक शक्तिशाली स्रोत थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि खेल न सिर्फ पदक जीतने के बारे में है, बल्कि अनुशासन, टीम भावना और एक मजबूत चरित्र बनाने के बारे में है।
निष्कर्ष
कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का जीवन एक ऐसी मिसाल है जो साबित करती है कि सफलता किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं होती। एक सैनिक, एक खिलाड़ी, एक राजनेता - हर भूमिका में उन्होंने पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ काम किया। वह आज के युवाओं के लिए एक आदर्श हैं और उम्मीद की किरण हैं कि दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।
क्या आपको उनकी यह यात्रा प्रेरणादायक लगी? नीचे कमेंट में जरूर बताएं।
धन्यवाद!

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