विवाह पंचमी: भगवान राम और माता सीता के पावन विवाहोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं

 


प्रिय पाठकगण,

आज का दिन समस्त हिन्दू समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र और आनंदमय है। आज हम विवाह पंचमी मना रहे हैं, वह पावन दिवस जब मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम ने जनक दुलारी माता सीता से विवाह रचाया था। यह दिवस केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि आदर्श दाम्पत्य जीवन, समर्पण, प्रेम और कर्तव्य के बंधन का प्रतीक है।

मिथिला की धरती पर हुए इस दिव्य विवाह ने संस्कृति और भक्ति की एक अमर गाथा लिखी। राजा जनक के घर में जन्मी सीता, जो धरती की पुत्री थीं, का संयोग अयोध्या के सूर्यवंशी राजकुमार राम से हुआ। यह संयोग केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि दो आदर्शों, दो संस्कृतियों और दो दिव्य शक्तियों का पूर्णतया सामंजस्य था।

आदर्श विवाह के सूत्र:

  • प्रतिज्ञा और समर्पण: राम ने सीता के लिए धनुष तोड़ा और सीता ने अपना सम्पूर्ण जीवन राम के चरणों में समर्पित कर दिया।

  • समानता और सहयोग: दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र में पूर्ण थे, किंतु एक दूसरे के पूरक बने।

  • मर्यादा और कर्तव्य: उनका सम्पूर्ण जीवन मर्यादाओं में बंधा हुआ था, जो आज के युग में भी प्रासंगिक है।

इस पावन अवसर पर, हम सभी को प्रभु श्री राम और माता जानकी से प्रार्थना करनी चाहिए कि वे हमारे जीवन में भी ऐसे ही पवित्र, प्रेमपूर्ण और आदर्श बंधन का आशीर्वाद दें।

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ जी द्वारा दी गई इस शुभ विवाह पंचमी की बधाई हम सभी के हृदय की भावना को दर्शाती है। उनकी इस हार्दिक शुभकामना से जुड़कर, हम सभी पाठकों को भी विवाह पंचमी की ढेरों बधाई एवं शुभकामनाएं!

ॐ श्री रामाय नमः
जय सिया राम!

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