कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ - डेफलिंपिक्स में भारत की ऐतिहासिक दहाड़!
🥇 20 पदक, 9 स्वर्ण! प्रतिभा और कठोर परिश्रम की अभूतपूर्व जीत
टोक्यो में आयोजित 25वें समर डेफलिंपिक्स में भारतीय दल ने इतिहास रच दिया है! यह न केवल पदकों की संख्या के मामले में, बल्कि देश के खेल इतिहास में एक अभूतपूर्व और प्रेरणादायक सफलता है।
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़, जिन्होंने स्वयं भारत को ओलंपिक पदक दिलाया है, ने इस शानदार उपलब्धि पर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यह हमारे एथलीटों की अटूट लगन और प्रतिभा का परिणाम है।
🏆 रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन: नई ऊंचाइयाँ
भारतीय दल ने कुल 20 पदक जीतकर, जिसमें 9 स्वर्ण, 7 रजत और 4 कांस्य शामिल हैं, अपनी सर्वश्रेष्ठ डेफलिंपिक्स प्रदर्शन दर्ज किया है। इस ऐतिहासिक सफलता ने भारत को पदक तालिका में छठे स्थान पर पहुंचाया है।
खामोशी में दहाड़: हमारे एथलीटों ने सिद्ध कर दिया है कि दृढ़ संकल्प और समर्पण शानदार परिणाम दे सकते हैं, भले ही खेल के मैदान में शोर न हो।
गोल्फ की रानी: ओलंपियन दीक्षा डागर ने महिला व्यक्तिगत गोल्फ में एक बार फिर स्वर्ण पदक जीतकर अपने खिताब की सफलतापूर्वक रक्षा की।
निशानेबाजी का दबदबा: पदकों का एक बड़ा हिस्सा (16 पदक) निशानेबाजी से आया, जहाँ धनुष श्रीकांत और माहित संधू जैसे खिलाड़ियों ने विश्व रिकॉर्ड बनाए और कई स्वर्ण पदक जीते।
कुश्ती में पहला कदम: कुश्ती और कराटे जैसे खेलों में भी भारत ने पहली बार पदक जीतकर अपनी खेल शक्ति का विस्तार किया है।
🇮🇳 गर्व और सम्मान का क्षण
यह ऐतिहासिक उपलब्धि सिर्फ पदकों की संख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की समावेशी खेल संस्कृति को दर्शाती है। यह हमारे युवाओं के लिए एक मजबूत संदेश है कि यदि सपने बड़े हों और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी चुनौती सफलता को रोक नहीं सकती।
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा:
"हमारे एथलीटों, प्रशिक्षकों और सहायक टीमों को शत्-शत् नमन! यह ऐतिहासिक सफलता प्रतिभा और कठोर परिश्रम की शक्ति से संचालित है। पूरे देश को आप पर गर्व है।"
यह जीत 'विकसित भारत' के संकल्प को मजबूत करती है, जहाँ हर नागरिक को, उसकी परिस्थितियों की परवाह किए बिना, वैश्विक मंच पर चमकने का अवसर मिलता है।

Comments
Post a Comment