कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ - ‘हिंद की चादर’ गुरु तेग बहादुर जी के 350वें बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन
धर्म और मानवता के रक्षक: ‘हिंद की चादर’ गुरु तेग बहादुर जी को कोटि-कोटि नमन
आज, सिख धर्म के नौवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें बलिदान दिवस के पावन अवसर पर, कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने उन्हें कोटि-कोटि नमन किया है। गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान न केवल सिख धर्म के लिए, बल्कि सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति और मानवता के इतिहास में एक अद्वितीय घटना है।
उन्हें 'हिंद की चादर' कहा जाता है, यह उपाधि उनके उस सर्वोच्च बलिदान को दर्शाती है जो उन्होंने किसी एक धर्म या संप्रदाय के लिए नहीं, बल्कि धर्म की स्वतंत्रता और मानव मूल्यों की रक्षा के लिए दिया था।
✨ बलिदान का अर्थ: धर्म की स्वतंत्रता की रक्षा
गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान उस समय हुआ जब तत्कालीन शासकों द्वारा लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जा रहा था। यह एक ऐसा दौर था जहाँ धार्मिक सहिष्णुता लगभग समाप्त हो चुकी थी।
सर्वोच्च त्याग: उन्होंने न केवल अपनी आस्था को बचाया, बल्कि कश्मीरी पंडितों और अन्य धर्मों के लोगों के धर्म की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। यह दर्शाता है कि सच्चा धर्म वही है जो सभी के कल्याण और स्वतंत्रता की रक्षा करता है।
सत्य और निडरता: उन्होंने अन्याय और अत्याचार के सामने झुकने से इनकार कर दिया, जिससे वह सत्य और निडरता के प्रतीक बन गए। उनका 'शीश देना, पर सिर्र न देना' (सिर दे देना, पर रहस्य/अधिकार न देना) का सिद्धांत आज भी प्रेरणा देता है।
रचनात्मक योगदान: गुरु जी ने आनंदपुर साहिब की स्थापना की, जो आज भी सिख इतिहास में एक महत्वपूर्ण केंद्र है। इसके अलावा, उन्होंने 'गुरु ग्रंथ साहिब' में कई भजन और श्लोकों का योगदान दिया, जो आज भी लाखों लोगों को मार्गदर्शन देते हैं।
🇮🇳 कर्नल राठौड़ का संदेश
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का यह नमन, गुरु तेग बहादुर जी के मूल्यों और सिद्धांतों को वर्तमान में बनाए रखने के संकल्प को दर्शाता है।
राष्ट्रीय एकता: गुरु जी का बलिदान हमें यह याद दिलाता है कि भारत की आत्मा अनेकता में एकता और धार्मिक सहिष्णुता में निहित है।
वीरता और धर्म: एक सेनानी के रूप में कर्नल राठौड़, गुरु जी के उस अदम्य साहस को विशेष रूप से सम्मान देते हैं, जिन्होंने निहत्थे होकर भी जुल्म के आगे सिर नहीं झुकाया।
✅ नमन: एक चिरस्थायी प्रेरणा
गुरु तेग बहादुर जी का 350वां बलिदान दिवस, केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं है, बल्कि यह हम सभी के लिए अपने जीवन में नैतिकता, साहस और धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों को अपनाने का अवसर है। उनकी विरासत हमें सिखाती है कि धर्म का पालन केवल अपनी नहीं, बल्कि दूसरों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए भी किया जाता है।
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ और सम्पूर्ण राष्ट्र, इस महान बलिदानी को शत-शत नमन करता है।

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