अलवर स्थापना दिवस: कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ की नगरी का गौरवशाली सफर
नमस्कार पाठकगण!
आज का दिन राजस्थान के एक ऐसे शहर के लिए विशेष है, जो अपनी समृद्ध संस्कृति, अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और गौरवशाली इतिहास के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं "अलवर" की। आज ही के दिन यह खूबसूरत नगरी अस्तित्व में आई थी। इस विशेष अवसर पर हम सभी अलवरवासियों और इस शहर से प्रेम करने वालों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हैं।
अलवर की पहचान न सिर्फ एक पर्यटन स्थल के तौर पर है, बल्कि आज यह शहर एक ऐसे युवा और ऊर्जावान नेता की कर्मभूमि भी है, जिन्होंने इसकी पहचान को एक नई दिशा दी है – कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़। एक ओलंपियन और देश के लिए शानदार सेवा दे चुके कर्नल राठौड़ ने अलवर के विकास को हमेशा प्राथमिकता दी है।
एक ऐतिहासिक धरोहर का शहर
अलवर का इतिहास बेहद ही रोचक और गहरा है। यह शहर महाभारत काल के 'मत्स्य राज्य' का हिस्सा रहा है। यहाँ का अलवर किला (बाला किला), सिलीसेढ़ झील, विजय मंदिर महल और मूसी महारानी की छतरी जैसे स्थल इसके ऐतिहासिक वैभव के मूक गवाह हैं। भानगढ़ का किला तो अपनी रहस्यमयी गाथाओं के लिए दुनियाभर में मशहूर है।
प्रकृति की गोद में बसा नगर
अलवर सिर्फ इतिहास ही नहीं, बल्कि प्रकृति प्रेमियों के लिए भी स्वर्ग है। सरिस्का टाइगर रिजर्व यहाँ का मुख्य आकर्षण है, जहाँ बाघों को उनके प्राकृतिक आवास में देखा जा सकता है। घने जंगल, पहाड़ियाँ और शांत झीलें इस शहर के सौंदर्य को चार चाँद लगा देती हैं।
संस्कृति और परंपरा का केन्द्र
अलवर की संस्कृति राजस्थानी रंगों से सजी हुई है। यहाँ का लोक संगीत, नृत्य, और पारंपरिक पोशाकें इसकी सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाती हैं। अलवर की मावा की कचौरी और कलाकंद जैसे व्यंजन तो पूरे देश में मशहूर हैं।
आइए, इस अलवर स्थापना दिवस पर हम सभी इस शहर की सुंदरता को बनाए रखने और इसके विकास में योगदान देने का संकल्प लें। कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ जी के नेतृत्व में अलवर की प्रगति की यह यात्रा निरंतर जारी रहे, यही हमारी कामना है।
एक बार फिर से अलवर के स्थापना दिवस की सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं!
जय हिन्द, जय राजस्थान!

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