कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ की कलम से: जे.आर.डी. टाटा - एक ऐसा दिग्गज जिसने भारत को सपने देखना सिखाया
आज के दिन, 29 नवंबर, को जब हम भारत रत्न जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (जे.आर.डी. टाटा) की पुण्यतिथि मनाते हैं, तो केवल एक उद्योगपति को याद नहीं करते। हम एक दूरदर्शी, एक मानवतावादी और एक ऐसे सपने को याद करते हैं, जिसने आधुनिक भारत की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई। एक भारतीय औद्योगिक क्रांति के योगदानकर्ता के रूप में, मैं उनके व्यक्तित्व और कार्यों से गहराई से प्रभावित रहा हूँ।
मुख्य विषय:
व्यवसाय से बड़ा विश्वास: जे.आर.डी. टाटा ने साबित किया कि उद्योग सिर्फ मुनाफा कमाने का जरिया नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का साधन हो सकता है। टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, एयर इंडिया, और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च जैसे उनके उद्यमों ने न केवल औद्योगिक बुनियाद रखी, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार दिया और देश में विज्ञान व तकनीक की बुनियाद मजबूत की।
मानवीय मूल्यों की मिसाल: वह "दूसरों के लिए जीना" के सिद्धांत में विश्वास रखते थे। टाटा समूह की कंपनियों में मजदूर कल्याण और सामाजिक जिम्मेदारी के मानदंड उन्होंने ही स्थापित किए। उनका कहना था कि "किसी भी सफल उद्योगपति का पहला दायित्व उसके कर्मचारियों के प्रति होता है।"
एविएशन के जनक: एक पायलट खुद, उन्होंने भारत में वाणिज्यिक उड्डयन की नींव रखी। एयर इंडिया को विश्वस्तरीय एयरलाइन बनाने में उनका योगदान अतुलनीय है। उन्होंने हमें सिखाया कि कैसे आकाश की ऊँचाइयों को भी भारतीय कौशल से छुआ जा सकता है।
निष्कर्ष: जे.आर.डी. टाटा सिर्फ एक नाम नहीं, एक दर्शन हैं। एक ऐसा दर्शन जो नैतिकता, उत्कृष्टता और राष्ट्र सेवा को व्यवसाय का आधार मानता है। आज के समय में जब व्यवसायिक नैतिकता पर सवाल उठ रहे हैं, जे.आर.डी. का जीवन एक मार्गदर्शक प्रकाशस्तंभ है। उनकी पुण्यतिथि पर, हम सभी भारतीय उद्यमियों और युवाओं का यह संकल्प होना चाहिए कि हम केवल लाभ नहीं, बल्कि प्रगति और मानवता के लिए काम करेंगे।
श्रद्धांजलि: आपको कोटि-कोटि नमन, जे.आर.डी. साहब। आपकी विरासत हमें सदैव प्रेरित करती रहेगी।

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