कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ - महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि
सामाजिक क्रांति के अग्रदूत: महात्मा ज्योतिबा फुले जी को विनम्र नमन
आज, सामाजिक क्रांति के महानायक, महान विचारक, और महिला शिक्षा एवं समानता के प्रबल पक्षधर महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि पर, कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है। फुले जी का जीवन और उनका कार्य, समाज में व्याप्त रूढ़िवादिता और असमानता के विरुद्ध एक अभूतपूर्व संघर्ष की गाथा है।
महात्मा फुले ने अपना पूरा जीवन सत्यशोधक समाज के सिद्धांतों पर जिया, जिसका उद्देश्य समाज के वंचित और शोषित वर्गों, विशेषकर महिलाओं और दलितों को शिक्षा और न्याय दिलाना था।
📚 शिक्षा: क्रांति का सबसे बड़ा हथियार
ज्योतिबा फुले जी का मानना था कि समाज में समानता तभी आ सकती है जब हर व्यक्ति शिक्षित हो। उन्होंने जिस समय शिक्षा के लिए संघर्ष किया, उस समय समाज में महिलाओं और पिछड़े वर्गों को शिक्षा से वंचित रखा जाता था।
नारी शिक्षा के जनक: उन्होंने 1848 में पुणे में भारत का पहला बालिका विद्यालय स्थापित किया। यह कदम उस समय की सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ एक शक्तिशाली क्रांति थी।
सावित्रीबाई फुले का योगदान: उन्होंने अपनी धर्मपत्नी, सावित्रीबाई फुले को स्वयं शिक्षित किया और उन्हें भारत की पहली महिला शिक्षिका बनने के लिए प्रेरित किया। यह दंपति सामाजिक सुधार की दिशा में एक अविस्मरणीय आदर्श बन गया।
⚖️ सामाजिक समानता और सत्यशोधक समाज
महात्मा फुले ने केवल शिक्षा तक ही अपना कार्य सीमित नहीं रखा। उन्होंने समाज में व्याप्त जातिवाद और अस्पृश्यता के खिलाफ भी आवाज़ उठाई।
सत्यशोधक समाज की स्थापना: 1873 में उन्होंने 'सत्यशोधक समाज' (सत्य की खोज करने वाला समाज) की स्थापना की। इसका मुख्य उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और उन्हें न्याय दिलाना था।
मानवतावादी दृष्टिकोण: उनका लेखन, विशेष रूप से उनकी पुस्तक 'गुलामगिरी' (दासता), उस समय की सामाजिक असमानताओं पर तीखा प्रहार करती है और मानवतावादी मूल्यों की स्थापना का आह्वान करती है।
🇮🇳 कर्नल राठौड़ का संकल्प
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ जैसे नेता, जो 'नए भारत' के निर्माण में विश्वास रखते हैं, महात्मा फुले के सिद्धांतों को वर्तमान समय के विकास कार्यों में लागू करने का संकल्प लेते हैं।
कर्नल राठौड़ का मानना है कि महिला सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय की दिशा में आज भी तेजी से काम करना, महात्मा फुले जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उनके विज़न को आगे बढ़ाते हुए, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि तकनीक और विकास का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।
✅ नमन: अन्याय के विरुद्ध एक अमर आवाज़
महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि हमें याद दिलाती है कि समाज सुधार के लिए साहस और त्याग की आवश्यकता होती है। उनकी विरासत हमें लगातार प्रेरित करती रहेगी कि हम एक ऐसे समाज का निर्माण करें जहाँ शिक्षा, समानता और न्याय हर नागरिक का मूलभूत अधिकार हो।
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ और समस्त राष्ट्र इस महान सामाजिक क्रांति के अग्रदूत को विनम्रतापूर्वक नमन करता है।

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