कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का बयान: 'कांग्रेस के दौर में फाइलें अटकती थीं, अब विकास दौड़ता है'

 

आज का दौर राजनीतिक बहसों और विकास के दावों का दौर है। ऐसे में, केंद्रीय मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का एक बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। उन्होंने कहा है, "कांग्रेस के दौर में फाइलें अटकती थीं, अब विकास दौड़ता है।"

यह सिर्फ एक राजनीतिक वक्तव्य नहीं, बल्कि वर्तमान सरकार के काम करने के तरीके को परिभाषित करने वाला एक नारा बन गया है। आइए, इस बयान के गहरे मायने और इसके पीछे के संदेश को समझने की कोशिश करते हैं।

क्या कहता है इतिहास? "फाइलें अटकती थीं"

कर्नल राठौड़ के इस बयान का पहला हिस्सा पुरानी व्यवस्था पर एक तीखा प्रहार है। "फाइलें अटकना" एक मुहावरा है, जो लालफीताशाही (Red Tapism), भ्रष्टाचार, नौकरशाही की ढिलाई और निर्णय लेने में होने वाली देरी को दर्शाता है। यह उस समय की याद दिलाता है जब कोई भी बड़ा प्रोजेक्ट या जनहित से जुड़ा काम बिना किसी अड़चन के आगे नहीं बढ़ पाता था। आम आदमी की समस्याएं फाइलों के ढेर में दबकर रह जाती थीं।

वर्तमान का दावा: "विकास दौड़ता है"

बयान का दूसरा हिस्सा वर्तमान सरकार की कार्यशैली पर जोर देता है। "विकास दौड़ता है" से तात्पर्य है गति, पारदर्शिता और नतीजों पर ध्यान केंद्रित करना। डिजिटल इंडिया की पहल, सीधे लाभार्थियों के खाते में सब्सिडी पहुंचाना (DBT), इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की रफ्तार, और नीतियों का त्वरित क्रियान्वयन इसी सोच को दर्शाता है। सरकार का दावा है कि अब फैसले लेने और उन्हें जमीन पर उतारने में वह समय नहीं लगता, जो पहले लगता था।

जनता के लिए क्या मायने हैं?

एक आम नागरिक के लिए, "फाइलें अटकना" मतलब है उसका काम अटकना, उसकी उम्मीदों का टूटना। वहीं, "विकास दौड़ना" मतलब है बेहतर सड़कें, तेज इंटरनेट, बिजली, पानी और रोजगार के नए अवसर। यह बयान दो अलग-अलग शासन मॉडल के बीच का अंतर स्पष्ट करता है।

निष्कर्ष

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का यह बयान निश्चित रूप से एक बड़ी राजनीतिक बहस को जन्म देता है। जहाँ एक तरफ सत्ता पक्ष इस बयान को अपनी उपलब्धि बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे महज एक जुमला करार दे रहा है। हालाँकि, इसमें कोई दो राय नहीं कि यह वाक्य आज के दौर की राजनीतिक चर्चा को एक नई दिशा देता है। अंततः, जनता ही तय करेगी कि क्या वाकई फाइलों का दौर खत्म हुआ है और विकास की रफ्तार उसके दरवाजे तक पहुँची है या नहीं।

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