हिंदी साहित्य के स्तंभ: आदरणीय श्री रामदरश मिश्र जी को विनम्र श्रद्धांजलि
आज का दिन हिंदी साहित्य जगत के लिए अत्यंत दुःखद और अपूरणीय क्षति का दिन है। कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ जी के शब्दों के माध्यम से हमें यह जानकर गहरा आघात पहुंचा है कि साहित्यकार और शिक्षाविद् श्री रामदरश मिश्र जी का निधन हो गया है।
श्री मिश्र जी ने अपनी सशक्त लेखनी और गहन विचारों से हिंदी साहित्य को जो दिशा दी, वह अतुलनीय है। उनकी रचनाएँ—कहानियाँ, उपन्यास, कविताएँ और आलोचनात्मक लेख—न केवल साहित्य का अमूल्य धरोहर हैं, बल्कि मानवीय मूल्यों और सामाजिक यथार्थ का सजीव दस्तावेज़ भी हैं। उनकी कलम से निकला हर शब्द पाठक के मन-मस्तिष्क पर एक अमिट छाप छोड़ जाता था।
एक शिक्षाविद् के रूप में भी उन्होंने अनेक युवा मन को ज्ञान की रोशनी से प्रकाशित किया। उनका लेखन और शिक्षण दोनों ही भावी पीढ़ियों के लिए एक मशाल का काम करेंगे। वे केवल एक लेखक ही नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और प्रेरणा-पुरुष थे।
इस दुःख की घड़ी में, हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और शोकाकुल परिवार, मित्रों तथा उनके असंख्य प्रशंसकों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
श्री रामदरश मिश्र जी का शारीरिक रूप से हमारे बीच न रहना एक बहुत बड़ा शून्य पैदा कर गया है, किंतु उनके विचार और साहित्य सदैव हमारे बीच जीवंत रहेंगे।
ॐ शांति!

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