कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ से प्रेरणा: राजस्थान सरकार का सैनिक कल्याण की ओर ठोस कदम
प्रत्येक सैनिक का जीवन त्याग और समर्पण की एक अनूठी मिसाल होता है। कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ जैसे वीरों की गाथाएं हमें यह एहसास दिलाती हैं कि सीमाओं पर बिताई गई उनकी रातें हमारे लिए एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण सुबह लेकर आती हैं। उनकी अद्वितीय वीरता के साथ-साथ, उनके परिवारों का अटूट धैर्य भी हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में, जिन्होंने सदैव सैनिकों के कल्याण को राष्ट्रीय नीति के केंद्र में रखा है, राजस्थान सरकार भी इस कृतज्ञता को ठोस शासनिक कार्यों में बदलने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है।
युद्ध में घायल सैनिकों के लिए ऐतिहासिक प्रस्ताव
हमारे सैनिक जब युद्ध के मैदान में घायल होते हैं, तो उनका शारीरिक जीवन बदल सकता है, लेकिन उनका जज़्बा और देशभक्ति कभी कम नहीं होती। इसी जज़्बे को सलाम करते हुए, राजस्थान सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। सैनिक कल्याण विभाग ने वर्ष 2024 में ही एक लिखित प्रस्ताव रखा था, जिसके तहत युद्ध में घायल होने वाले सैनिकों को, उनकी सैन्य सेवा के बाद भी, राज्य सरकार द्वारा सरकारी नौकरी देने का प्रावधान किया गया है। यह कदम न केवल उनके भविष्य को सुरक्षित करेगा, बल्कि उनके और उनके परिवारों के प्रति हमारे सम्मान का एक स्थायी प्रमाण भी है।
वार्षिक सैनिक कल्याण बोर्ड बैठक: कुछ प्रमुख निर्णय
हाल ही में आयोजित वार्षिक सैनिक कल्याण बोर्ड बैठक में सैनिकों, पूर्व सैनिकों और वीरांगनाओं के हित में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए:
डिजिटल पहल: प्रत्येक सैनिक और उनके परिवार तक सरकारी योजनाओं की जानकारी सीधे पहुंचे, इसके लिए एक नए सैनिक कल्याण पोर्टल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का शुभारंभ किया गया। यह पहल माननीय प्रधानमंत्री जी के ‘डिजिटल इंडिया’ विजन को साकार करती है।
वित्तीय प्रतिबद्धता: सैनिक कल्याण कार्यों के लिए ₹406.46 करोड़ के आय-व्यय को स्वीकृति दी गई।
शिक्षा एवं सम्मान: सैनिक स्कूलों और रक्षा प्रशिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे सैनिकों के बच्चों के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाने के साथ-साथ वीर पदक प्राप्त सैनिकों की सम्मान राशि में वृद्धि की अनुशंसा की गई।
अवसंरचना विस्तार: दूरस्थ इलाकों तक सेवाएं पहुंचाने के लिए राजगढ़ (चूरू) में एक नया सैनिक कल्याण कार्यालय खोलने और जोधपुर के राईका बाग में एकीकृत सैनिक परिसर स्थापित करने की प्रक्रिया को मंजूरी मिली।
गर्व का क्षण: शिक्षा क्षेत्र में नियुक्तियाँ
राजस्थान के लिए यह गर्व का विषय है कि इस वर्ष शिक्षा क्षेत्र में 201 पूर्व सैनिकों को नई जिम्मेदारियाँ देने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। यह न केवल उनके लिए दूसरी पंक्ति में सेवा का अवसर है, बल्कि छात्रों को अनुशासन और देशभक्ति की सीख देने का एक बेहतरीन माध्यम भी।
निष्कर्ष
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ जैसे जांबाजों का बलिदान हमें सिखाता है कि देश की रक्षा सर्वोपरि है। राजस्थान सरकार का यह प्रयास है कि हमारी यह कृतज्ञता केवल शब्दों तक सीमित न रहे, बल्कि उनके और उनके परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाली योजनाओं और नीतियों के रूप में सामने आए। यह हमारा छोटा-सा योगदान है, उन अमर बलिदानों के प्रति, जो हमें हर पल सुरक्षित रखते हैं।
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