कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का आह्वान: इस दीपावली, जलाएं स्वदेशी के दीए, मजबूत करें आत्मनिर्भर भारत का संकल्प
दीपावली का त्योहार सिर्फ रोशनी, पटाखे और मिठाइयों का नहीं, बल्कि आत्मा के आंतरिक प्रकाश और नए सिरे से शुरुआत का प्रतीक है। इसी कड़ी में, केंद्रीय मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने एक बहुत ही सारगर्भित और प्रेरणादायक विचार रखा है। उन्होंने कहा है कि "दीपावली स्वदेशी का उत्सव" है और इस अवसर पर हमें "आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को मजबूत" करना चाहिए।
उनका यह संदेश सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक स्पष्ट रोडमैप है। उन्होंने हमारे संकल्प को तीन स्पष्ट स्तंभों पर खड़ा किया है: "उत्पाद में स्वदेशी, तकनीक में स्वदेशी, विचार में भी स्वदेशी।"
आइए, इस दीपावली इन तीनों बिंदुओं पर गहराई से विचार करें।
1. उत्पाद में स्वदेशी: घर-घर का आर्थिक यज्ञ
दीपावली पर हम नए कपड़े, बर्तन, मिठाइयाँ, घर की सजावट और उपहार खरीदते हैं। यही वह समय है जब हम अपनी खरीदारी की शक्ति का उपयोग कर सकते हैं। जब हम भारतीय कंपनियों के उत्पाद, हस्तशिल्प कारीगरों द्वारा बनाई गई वस्तुएं और स्थानीय बाजारों की मिठाइयाँ खरीदते हैं, तो यह सिर्फ एक खरीदारी नहीं रह जाती। यह देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का एक सीधा योगदान बन जाता है। हर एक स्वदेशी उत्पाद की खरीदारी एक दीया है, जो किसी भारतीय परिवार की आजीविका और सपनों को रोशन करता है।
2. तकनीक में स्वदेशी: नए युग की नींव
आज का युग तकनीक का युग है। कर्नल राठौड़ के संकल्प में 'तकनीक में स्वदेशी' का आह्वान अत्यंत प्रासंगिक है। इसका मतलब है भारत में विकसित ऐप्स, सॉफ्टवेयर, डिजिटल प्लेटफॉर्म और हार्डवेयर को प्राथमिकता देना। चाहे वह UPI के जरिए पेमेंट करना हो, भारतीय स्टार्टअप्स द्वारा बनाए गए गैजेट्स खरीदना हो, या फिर हमारे स्पेस प्रोग्राम जैसे चंद्रयान की सफलता पर गर्व करना हो। तकनीकी आत्मनिर्भरता ही वह मजबूत आधार है, जो भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाएगा।
3. विचार में स्वदेशी: सबसे महत्वपूर्ण आधार
यह तीनों में सबसे मौलिक और गहरा बिंदु है। 'विचार में स्वदेशी' का अर्थ है अपनी सांस्कृतिक जड़ों, अपने इतिहास और अपनी सभ्यता के मूल्यों पर गर्व करना। इसका मतलब है कि हम समस्याओं के समाधान के लिए पश्चिमी दृष्टिकोण की नकल करने के बजाय, अपनी परिस्थितियों के अनुरूप स्वदेशी समाधान खोजें। यह हमारी शिक्षा, हमारी कला, हमारे साहित्य और हमारे जीवन जीने के तरीके में आत्मविश्वास पैदा करता है।
निष्कर्ष:
कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का यह संदेश दीपावली की वास्तविक भावना को एक नए आयाम तक पहुँचाता है। यह हमें याद दिलाता है कि असली उजाला केवल दीयों का नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और आत्मगौरव की उस ज्योति का है, जो हर भारतीय के हृदय में जलनी चाहिए।
इस दीपावली, आइए प्रण करें कि हम न सिर्फ अपने घरों को, बल्कि अपने विचारों और कर्मों को भी स्वदेशी की रोशनी से जगमगाएंगे। यही सच्ची दीपावली होगी और आत्मनिर्भर भारत की ओर एक सार्थक कदम।
#स्वदेशीदीपावली #आत्मनिर्भरभारत #राज्यवर्धनराठौड़ #MakeInIndia
Comments
Post a Comment