गौरव सेनानियों का सम्मान: एक ऐसा सफर जो कभी खत्म नहीं होता

 

जयपुर की धरती एक बार फिर वीरता, समर्पण और सम्मान की भावना से गूंज उठी। प्रादेशिक सेना पूर्व सैनिक संघ द्वारा आयोजित प्रतिभा सम्मान एवं दीपावली स्नेह मिलन समारोह में एक ऐसा ही मार्मिक और गौरवशाली अवसर था। इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई राजस्थान सरकार के सैनिक कल्याण मंत्री, कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने।

कार्यक्रम के केंद्र में थे हमारे वीर गौरव सेनानी और उनके परिजन। कर्नल राठौड़ ने उन्हें सम्मानित करते हुए जो शब्द कहे, वह हर देशभक्त के हृदय को छू गए। उन्होंने कहा, "आंखों में वही चमक, चेहरे पर वही जोश और दिल में देश के लिए वही जुनून... हर बार गौरव सैनानियों से मिलना सिर्फ एक मुलाक़ात नहीं होता, ये वो एहसास है जो याद दिलाता है कि फौज कोई अध्याय नहीं, एक सफर है।"

यह वाक्य सचमुच में एक फौजी के अटूट समर्पण को दर्शाता है। उनके लिए यूनिफॉर्म उतार देने का मतलब देशभक्ति का अंत नहीं होता। यह एक नए सफर की शुरुआत होती है।

(छवि: गौरव सेनानियों और उनके परिवारों की सामूहिक तस्वीर)

कर्नल राठौड़ ने जोर देकर कहा कि "गौरव सेनानी हमारे राष्ट्र की रीढ़ हैं। आपने देश की सुरक्षा के लिए जो योगदान दिया है, वह सदैव अमर रहेगा।" उन्होंने एक संयुक्त प्रयास का आह्वान करते हुए कहा कि अब समय है कि हम सब मिलकर राष्ट्र निर्माण के नए आयाम गढ़ें और सेवा, समर्पण व सम्मान की भावना से आगे बढ़ें।

यह कार्यक्रम केवल दीपावली की शुभकामनाएं साझा करने तक सीमित नहीं था। यह देशभक्ति और एकता के पवित्र भाव से ओत-प्रोत एक सामूहिक संकल्प का प्रतीक था। जैसा कि कर्नल राठौड़ ने कहा, "यह स्नेह मिलन केवल उत्सव नहीं, बल्कि यह हमारे सामूहिक संकल्प का प्रतीक है कि हम राष्ट्रहित के कर्तव्य पथ पर सदैव समर्पित रहेंगे।"

ऐसे कार्यक्रम हमें यह याद दिलाते हैं कि हमारी आज़ादी और सुरक्षा की नींव में इन अनाम हीरोओं का त्याग और बलिदान समाया हुआ है। उन्हें सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि हर दिन सम्मान और कृतज्ञता देना हम सभी का फर्ज बनता है।

जय हिंद, जय हिंद की सेना!

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