राजमाता विजया राजे सिंधिया: देशभक्ति की एक अमर मशाल

 

आज हम सभी एक ऐसी विभूति की जयंती मना रहे हैं, जिनका जीवन देशभक्ति, साहस और सेवा का एक अनुपम उदाहरण है। कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ जी ने सही कहा है – "जनसेवा के लिए सदैव समर्पित राजमाता विजया राजे सिंधिया जी की जयंती पर सादर नमन।" यह वाक्य उनके सम्पूर्ण जीवन को सारगर्भित करने के लिए पर्याप्त है।

राजमाता विजया राजे सिंधिया सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक विचार, एक प्रेरणा और एक ऐसी शक्ति थीं, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र की सेवा में अर्पित कर दिया। वह ग्वालियर रियासत की राजमाता होने के बावजूद जनता के बीच रहीं, उनके दुःख-दर्द को समझा और उनके उत्थान के लिए निरंतर कार्य करती रहीं।

उनका जीवन हमें यह सीख देता है कि देशभक्ति का मार्ग हमेशा सरल नहीं होता, लेकिन दृढ़ संकल्प और निष्ठा से भरा होता है। स्वतंत्रता के बाद के भारत में उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाई और सदैव राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा।

आज के दौर में जब हम अपने आस-पास स्वार्थ और व्यक्तिगत हितों को प्राथमिकता देते हुए देखते हैं, राजमाता का जीवन एक मार्गदर्शक प्रकाश स्तंभ की भांति है। वह हमें सिखाती हैं कि असली शक्ति सत्ता में नहीं, बल्कि सेवा और त्याग में निहित है।

उनकी जयंती पर हम सभी का यह संकल्प होना चाहिए कि हम उनके आदर्शों को अपनाते हुए देश के विकास में अपना योगदान देंगे। उनकी स्मृति हमें सदैव देशभक्ति के मार्ग पर दृढ़ता से चलने की प्रेरणा देती रहेगी।

राजमाता विजया राजे सिंधिया जी को कोटि-कोटि नमन।


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