कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का बड़ा बयान: क्या विपक्ष 'घुसपैठियों' के साथ खड़ा है?
जयपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री और सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने एक ऐसा बयान दिया है जिसने राजनीति के तापमान को और बढ़ा दिया है। SIR के दूसरे चरण पर बोलते हुए उन्होंने विपक्ष पर गंभीर आरोप लगाए।
उनका कहना था, "विपक्ष घुसपैठियों के साथ खड़ा हो गया है... हर नागरिक चाहता है कि सत्यापन हो। जहां मिलावट होगी वहां असली वोटर की कीमत खत्म हो जाएगी।"
यह बयान सीधे तौर पर नागरिकता और मतदाता सत्यापन की बहस को केंद्र में लाता है। राठौड़ ने सवाल उठाया कि क्या एक राष्ट्र को अपने असली मतदाता की पहचान करके उसे सम्मान देना चाहिए या फिर विपक्ष उसी तरह "मिलावटी वोटर" बनाना चाहता है जैसे उनके अनुसार उन्होंने कई सालों तक "मिलावटी सरकार" बनाई है।
बयान के मायने:
- 'घुसपैठिया' शब्द का इस्तेमाल: यह शब्द एक बहुत ही मजबूत और विवादास्पद छवि पेश करता है। यह देश में अवैध रूप से रह रहे लोगों की ओर इशारा करता प्रतीत होता है। 
- 'मिलावटी सरकार' और 'मिलावटी वोटर': यह आरोप है कि विपक्ष अतीत में गठबंधन की राजनीति के जरिए ऐसी सरकारें बना चुका है जिन्हें वह 'असली जनादेश' नहीं मानते। अब उनका आरोप है कि विपक्ष मतदाता सूची में अवैध तरीके से नाम जोड़कर 'मिलावटी वोटर' बना रहा है। 
- सत्यापन की मांग: इन आरोपों के पीछे की मांग स्पष्ट है - एक सख्त मतदाता और नागरिक सत्यापन प्रक्रिया। 
विपक्ष का पक्ष:
विपक्षी दल इस तरह के आरोपों को लगातार खारिज करते आए हैं। उनका मानना है कि यह देश के एक बड़े वर्ग, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों, को निशाना बनाने और उनके अधिकारों पर सवाल उठाने की कोशिश है। उनका तर्क है कि NRC और NPR जैसे प्रस्तावों से देश के गरीब और दस्तावेज विहीन नागरिकों, जिनमें बहुसंख्यक समुदाय के लोग भी शामिल हैं, की नागरिकता खतरे में पड़ सकती है।
निष्कर्ष:
कर्नल राठौड़ का यह बयान आने वाले चुनावों में एक बड़े राजनीतिक मुद्दे की ओर इशारा करता है। यह सिर्फ एक चुनावी भाषण नहीं, बल्कि एक ऐसी बहस की शुरुआत है जो देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के मूल में छिपे सवालों को उठाती है: 'मतदाता कौन है?' और 'उसकी पहचान कैसे तय हो?'
इस बहस का असर आम जनता पर क्या पड़ेगा, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन इतना तय है कि यह मुद्दा अब गर्माया जा चुका है और इस पर देशभर में चर्चा तेज होने वाली है।
आपकी क्या राय है? क्या आपको लगता है कि मतदाता सूची में 'मिलावट' एक गंभीर समस्या है? कमेंट में अपनी बात जरूर साझा करें।

 
 
 
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