कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ - महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, प्रखर समाजवादी चिंतक एवं ओजस्वी वक्ता डॉ. राम मनोहर लोहिया जी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन।



आज के दिन, 12 अक्टूबर, जब हम महान क्रांतिकारी विचारक, स्वतंत्रता सेनानी और ओजस्वी वक्ता डॉ. राम मनोहर लोहिया जी की पुण्यतिथि मनाते हैं, तो उनके विचारों की अग्नि एक बार फिर हमारे मन-मस्तिष्क को झकझोर देती है। लोहिया जी सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक विचारधारा, एक आंदोलन और एक चिंगारी थे, जो आज भी प्रासंगिक है।

एक अदम्य स्वतंत्रता सेनानी

लोहिया जी का जीवन देशभक्ति का अनूठा उदाहरण है। हैरी पॉटर नहीं, बल्कि 'हरी-भरी' आजादी के लिए लड़ने वाले इस योद्धा ने अंग्रेजी शासन की नींव हिला दी थी। 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' जैसे ऐतिहासिक आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका रही। उन्होंने महज सत्ता के हस्तांतरण के लिए नहीं, बल्कि एक समतामूलक समाज की स्थापना के लिए संघर्ष किया।

एक प्रखर समाजवादी चिंतक

लोहिया जी की समाजवाद की अवधारणा किताबी नहीं थी, बल्कि भारतीय जमीन से जुड़ी हुई थी। उन्होंने 'चौखंभा राज' का सिद्धांत दिया - जिसमें जाति, लिंग, अर्थ और अवसर की विषमताओं को तोड़ने की बात कही। उनका मानना था कि बिना जाति के विनाश के सच्चा समाजवाद असंभव है। उनके लिए समाजवाद सिर्फ आर्थिक न्याय का सिद्धांत नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की गारंटी भी था।

एक ओजस्वी वक्ता और लेखक

डॉ. लोहिया की वाणी में एक अद्भुत तेज था। उनके भाषण सुनने वालों के मन में उत्साह और देशभक्ति की लहर दौड़ जाती थी। वे जटिल से जटिल विषयों को इतनी सरलता और धाराप्रवाह शैली में समझाते थे कि आम जनता से लेकर बुद्धिजीवी तक सभी प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते थे। उनकी लेखनी भी उतनी ही पैनी और प्रभावशाली थी।

आज के संदर्भ में लोहिया के विचार

आज जब देश सामाजिक विषमता, आर्थिक असमानता और राजनीतिक संकटों से जूझ रहा है, लोहिया जी के विचार और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं। सत्ता का विकेंद्रीकरण, महिलाओं की भागीदारी, छोटे उद्योगों को बढ़ावा और सामाजिक न्याय पर उनका जोर आज के भारत के लिए एक रोडमैप की तरह है।

आइए, इस पुण्यतिथि पर हम केवल श्रद्धांजलि तक सीमित न रहें। बल्कि उनके सपनों का भारत बनाने की दिशा में, उनके विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लें। एक ऐसे समाज का निर्माण करने का प्रयास करें जहाँ न कोई छोटा हो, न कोई बड़ा; सभी को समान अवसर और सम्मान मिले।

डॉ. राम मनोहर लोहिया जी को कोटि-कोटि नमन।


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