कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ से मुलाकात: विश्वास का वह सुनहरा धागा
आप सभी ने एक कहावत तो सुनी ही होगी – "विश्वास वह आधार है, जिस पर सभी रिश्तों की इमारत खड़ी होती है।" आज, जब मैं कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ जी से हुई मुलाकात को याद करता/करती हूं, तो यह कहावत मेरे मन-मस्तिष्क में एक जीवंत सच्चाई बनकर उभरती है।
यह कोई साधारण मुलाकात नहीं थी, न ही सिर्फ एक फोटो खिंचवाने का मौका। यह तो उस रिश्ते की एक और मजबूत कड़ी थी, जो आप जनता और आपके प्रतिनिधि के बीच बनता है। कर्नल राठौड़ से बातचीत के दौरान यह एहसास हुआ कि एक जनप्रतिनिधि का काम सिर्फ वोट मांगना नहीं, बल्कि उस विश्वास को लगातार सींचते रहना है, जो जनता ने उनमें दिखाया है।
उनके साथ बिताया गया हर पल यह साबित कर रहा था कि "यह सिर्फ़ मुलाकात नहीं, लोगों के विश्वास को और मज़बूती देने का एक कदम हैं।"
और इसी विश्वास और इसी गहरे रिश्ते ने मुझे एक नई ऊर्जा से भर दिया। जीवन में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं जब हम थक जाते हैं, लगता है कि अब आगे बढ़ने की शक्ति नहीं बची। परंतु ऐसे में किसी का विश्वास, किसी का साथ और किसी का प्रेरक शब्द हमें फिर से रास्ते पर डाल देता है।
"यही रिश्ता मुझे लगातार आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।"
यह वही प्रेरणा है जो एक सैनिक को देश की रक्षा के लिए प्रेरित करती है, एक शिक्षक को भविष्य गढ़ने के लिए उत्साहित करती है, और एक युवा को अपने सपनों की ओर कदम बढ़ाने का हौसला देती है। आज मैं स्वयं को उसी प्रेरणा से भरा हुआ महसूस कर रहा/रही हूं।
कर्नल साहब, आपके आदर्शों और आपके समर्पण ने न सिर्फ मुझे बल्कि हजारों युवाओं को प्रेरित किया है। यह मुलाकात एक ऐसा अनुभव था जिसने मेरे अंदर के विश्वास को पुनः जागृत किया है कि हम सब मिलकर एक बेहतर समाज और एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।
आप सभी से भी मेरा यही निवेदन है कि अपने अंदर के विश्वास को कभी मरने न दें, क्योंकि यही विश्वास हमें लगातार आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
जय हिंद!

 
 
 
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