डॉ. होमी जहांगीर भाबा: वह दूरदर्शी जिसने भारत को अणु-शक्ति दी



नमस्कार पाठकों,

आज का दिन भारतीय विज्ञान के इतिहास में एक स्वर्णिम अक्षरों में लिखे जाने योग्य नाम को याद करने का दिन है। आज हम सभी 'भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक', महान वैज्ञानिक और पद्मभूषण से सम्मानित, डॉ. होमी जहांगीर भाबा की जयंती मना रहे हैं। उनके प्रति मेरा सादर नमन।

डॉ. भाबा सिर्फ एक वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी राष्ट्र-निर्माता थे। उन्होंने कल्पना की थी कि एक स्वतंत्र भारत को वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर होना ही होगा। उनका मानना था कि परमाणु ऊर्जा देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और उसके विकास को गति देने के लिए एक शक्तिशाली माध्यम बन सकती है।

उनके इसी सपने और दृढ़ संकल्प का परिणाम था भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) और भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग का गठन। उन्होंने 'तीन चरण का भारतीय परमाणु कार्यक्रम' की नींव रखी, जो आज भी हमारे लिए मार्गदर्शक है। यह कार्यक्रम ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ सैन्य सुरक्षा का भी एक मजबूत आधार बना।

लेकिन डॉ. भाबा की विरासत सिर्फ प्रयोगशालाओं और रिएक्टरों तक सीमित नहीं है। उनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण, सौंदर्यबोध (वे एक उत्कृष्ट चित्रकार भी थे) और अटूट आत्मविश्वास आज के युवाओं के लिए एक जीवंत प्रेरणा है। वे युवा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करते थे और उनमें बड़े सपने देखने की हिम्मत भरते थे।

आज जब भारत चंद्रमा पर अपना यान भेज रहा है, मंगल ग्रह पर मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे चुका है और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, तो हमें उस महान शख्सियत को याद करना और भी जरूरी हो जाता है, जिसने इस मजबूत नींव की नींव रखी।

डॉ. भाबा का जीवन हमें सिखाता है कि सपने देखना, उन्हें पूरा करने की योजना बनाना और फिर उसे हकीकत में बदलने का हौसला रखना ही सच्ची सफलता है।

आइए, हम सभी इस महान वैज्ञानिक को उनकी जयंती पर याद करें और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लें।

जय हिन्द, जय विज्ञान।

Comments

Popular posts from this blog

Rajyavardhan Rathore - Quick Resolution of Electricity Issues Now Available

Rajasthan Government Delegation Led by Industry Minister Rajyavardhan Singh Rathore Visits Switzerland to Attract Investments and Promote Rising Rajasthan Summit

श्री हनुमान चालीसा पाठ और संकीर्तन झारखंड महादेव मंदिर में झोटवाड़ा में किया गया