कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ - गर्व से कहें, ये स्वदेशी हैं!

 

प्रिय पाठकगण,

भारत की शान बढ़ाने वाले ऐसे कई सितारे हैं जिनकी चमक समय के साथ और भी तेज होती जाती है। ऐसे ही एक देशभक्त, खिलाड़ी और नेता हैं - कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़। उनकी जीवन यात्रा सुनकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। वाकई, उन पर हम गर्व से कह सकते हैं, "ये स्वदेशी हैं!"

एक सैनिक का दिल:
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने सेना में रहते हुए देश की सेवा की। भारतीय सेना की 9 ग्रेनेडियर रेजिमेंट में कर्नल के पद पर रहते हुए उन्होंने जो अनुशासन, देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा सीखी, वह आज तक उनके व्यक्तित्व का हिस्सा है। एक सैनिक के रूप में उनकी छवि आज भी उनके चेहरे पर साफ झलकती है।

एथेंस ओलंपिक में ऐतिहासिक सफलता:
साल 2004 का एथेंस ओलंपिक भारत के लिए ऐतिहासिक रहा। राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने डबल ट्रैप शूटिंग स्पर्धा में रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया। यह भारत का उस ओलंपिक में एकमात्र पदक था और व्यक्तिगत स्पर्धा में जीता गया यह पहला रजत पदक था। तिरंगा लहराते देख और राष्ट्रगान बजते सुनने का जो गर्व उन्होंने हर भारतीय को महसूस कराया, वो अविस्मरणीय है।

राजनीति: देशसेवा का दूसरा मोर्चा:
सेना और खेल जगत से निकलकर राठौड़ साहब ने राजनीति के मैदान में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई। वह जयपुर के सांसद रहे और केंद्रीय मंत्री के रूप में युवा मामले एवं खेल मंत्रालय तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने 'फिट इंडिया मूवमेंट' जैसे अभियानों को नई ऊर्जा दी।

क्यों कहें "गर्व से स्वदेशी"?
क्योंकि कर्नल राठौड़ भारत की उस सशक्त पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं जो अनुशासन, मेहनत और ईमानदारी से देश का नाम रोशन कर रही है। वह एक ऐसा 'स्वदेशी' उत्पाद हैं जिस पर पूरा देश नाज कर सकता है। उनका जीवन युवाओं के लिए एक जीता-जागता उदाहरण है कि देशभक्ति और सफलता दोनों एक साथ हासिल की जा सकती हैं।

निष्कर्ष:
कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक 'विचार' हैं। वह विचार है देशप्रेम का, अनुशासन का, और निरंतर संघर्ष का। उनकी उपलब्धियाँ हमें यह एहसास दिलाती हैं कि हमारा देश वीरों और चैंपियनों की भूमि है।

आइए, ऐसे महान व्यक्तित्व को सलाम करें और उनसे प्रेरणा लेकर अपने जीवन में भी कुछ ऐसा कर दिखाने का संकल्प लें जिससे देश का नाम ऊँचा हो।

जय हिन्द!

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