ईश्वर चंद्र विद्यासागर: एक ऐसा दीपक जिसकी लौ ने समाज का मार्ग प्रकाशित किया
प्रस्तावना:
आज हम सभी एक ऐसे महान व्यक्तित्व की जयंती मना रहे हैं, जिनका नाम ही शिक्षा, नैतिकता और सामाजिक क्रांति का पर्याय है – महर्षि ईश्वर चंद्र विद्यासागर। कोलोनल राज्यवर्धन सिंह राठौर द्वारा दी गई इस श्रद्धांजलि में निहित भावना को आगे बढ़ाते हुए, आइए आज हम उनके जीवन और विरासत पर एक गहरी नज़र डालते हैं।
शिक्षाविद् के रूप में विद्यासागर:
उनका उपनाम 'विद्यासागर' ही उनकी विद्वता की गहराई को दर्शाता है। उन्होंने संस्कृत शिक्षा में गहरी पैठ हासिल की, लेकिन उनकी सबसे बड़ी देन थी शिक्षा को सर्वसुलभ बनाना। उन्होंने बंगाल में 'बहुविवाह' प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई और विधवा पुनर्विवाह के लिए कानून बनवाने में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा पर जोर दिया और कई स्कूलों की स्थापना की।
समाज सुधारक की भूमिका:
विद्यासागर जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया। वे सिर्फ विद्वान ही नहीं, बल्कि एक करुणामय इंसान थे। उन्होंने नारी उत्थान के लिए अथक संघर्ष किया। विधवाओं की दयनीय स्थिति से वे अत्यंत व्यथित थे और उनके पुनर्वास के लिए हमेशा प्रयासरत रहे। उनका जीवन हमें सिखाता है कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य समाज का कल्याण करना है।
दार्शनिक और विचारक:
उनकी दार्शनिक सोच सादगी और मानवतावाद में निहित थी। वे रूढ़िवादिता के विरोधी और तर्कशीलता के पक्षधर थे। उनका मानना था कि शिक्षा और नैतिक मूल्य ही इंसान को सही मार्ग दिखा सकते हैं। उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उनके समय में थे।
स्वतंत्रता सेनानी की भावना:
हालाँकि वे सीधे तौर पर राजनीतिक आंदोलनों में शामिल नहीं थे, लेकिन उनकी स्वतंत्र चेतना और दृढ़ नैतिक साहन ने अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रीय जागरण को प्रेरित किया। वे एक ऐसे भारत के निर्माण में विश्वास रखते थे जो शिक्षित, न्यायसंगत और प्रगतिशील हो।
निष्कर्ष:
कोलोनल राज्यवर्धन सिंह राठौर जी ने सही कहा है कि विद्यासागर जी के विचार और आदर्श हमें सदैव राष्ट्र और समाज की प्रगति के लिए प्रेरित करते रहेंगे। आज के दौर में, जब समाज में असमानता और रूढ़िवादिता अभी भी विद्यमान है, ऐसे में विद्यासागर जी का जीवन हमारे लिए एक मार्गदर्शक दीपक के समान है।
आइए, हम उनकी जयंती पर यह संकल्प लें कि हम उनके बताए मार्ग पर चलते हुए एक शिक्षित, समतामूलक और संवेदनशील समाज के निर्माण में अपना योगदान देंगे।

 
 
 
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