कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़: सेना के जांबाज से लेकर राजनीति के धुरंधर तक का सफर
नमस्कार दोस्तों!
सभी को माँ दुर्गा के षष्ठम स्वरूप देवी कात्यायनी जी को समर्पित शारदीय नवरात्रि के छठवें दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। माँ कात्यायनी साहस, शक्ति और निर्णय की देवी हैं। आज का दिन उन व्यक्तित्वों को याद करने का है जिन्होंने अपने अदम्य साहस और दृढ़ निश्चय से देश का नाम रोशन किया है। ऐसे ही एक शख्सियत हैं - कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़।
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक ऐसी मिसाल हैं जो फौजी वीरता और राजनीतिक कौशल के बीच एक सशक्त सेतु का काम करती है। आइए, आज नवरात्रि के इस पावन छठे दिन पर हम उनके जीवन के कुछ प्रमुख पहलुओं पर नज़र डालते हैं।
सैन्य जीवन: देश की सेवा में
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भारतीय सेना में एक कर्नल रहे हैं। उन्होंने 9/11 ग्रेनेडियर्स में अपनी सेवाएं दीं। एक पैरा (कमांडो) अधिकारी के रूप में, उन्होंने कठिनतम प्रशिक्षण प्राप्त किया और देश की सुरक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनकी इस फौजी अनुशासन और देशभक्ति की भावना ने आगे चलकर उनके हर कार्यक्षेत्र में उनका मार्गदर्शन किया।
खेल जगत: ओलंपिक में तिरंगा लहराने वाले पहले शूटर
2004 के एथेंस ओलंपिक में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने डबल ट्रैप शूटिंग स्पर्धा में रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया। वह ओलंपिक में व्यक्तिगत सिल्वर मेडल जीतने वाले पहले भारतीय बने। यह पल न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण था। इस जीत ने भारत में शूटिंग जैसे खेलों को एक नई पहचान दिलाई और युवाओं के लिए एक नई प्रेरणा का स्रोत बने।
राजनीतिक सफर: संसद से कैबिनेट मंत्री तक
सेना और खेल जगत में सफलता हासिल करने के बाद, उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा। वह जयपुर ग्रामीण सीट से सांसद चुने गए और भारत सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद भी संभाला। उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और खेल मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई। एक खिलाड़ी के रूप में उनका अनुभव खेल मंत्री के रूप में उनके कार्यों में साफ झलकता है।
माँ कात्यायनी का आशीर्वाद: साहस और सफलता का प्रतीक
आज नवरात्रि का छठा दिन है और हम माँ कात्यायनी की पूजा करते हैं। कर्नल राठौड़ का जीवन भी माँ कात्यायनी के इन्हीं गुणों को प्रतिबिंबित करता है - साहस, दृढ़ संकल्प और विजय। चाहे वह युद्ध का मैदान हो, खेल का मैदान हो या फिर राजनीति का अखाड़ा, उन्होंने हर जगह विजय पताका फहराई है।
निष्कर्ष:
कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ एक ऐसे सफल व्यक्तित्व हैं जिन्होंने हर मोड़ पर देश का नाम ऊँचा किया है। उनका जीवन युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक मंत्र है - कि मेहनत, अनुशासन और देशभक्ति से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।
माँ कात्यायनी हम सभी में ऐसा ही साहस और विजयश्री का भाव जगाएं। एक बार फिर, नवरात्रि के छठे दिन की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं!

 
 
 
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