करणी माता के अवतरण दिवस पर: जन-जन की आराध्या का स्मरण

 

माँ का स्नेह, उनकी कृपा और उनका अटूट विश्वास ही है जो इस नश्वर संसार में हमें धर्म के पथ पर चलने की शक्ति देता है। आज ऐसी ही एक शक्तिस्वरूपा, राजराजेश्वरी मातेश्वरी भगवती श्री करणी माता जी के पावन अवतरण दिवस के पुनीत अवसर पर, उनके चरणों में कोटि-कोटि नमन।

करणी माता, जो चूहों वाले मंदिर के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं, वास्तव में केवल एक देवी ही नहीं, बल्कि जन-जन की आराध्या हैं। उनका जीवन त्याग, सेवा, और चमत्कारों से भरा पड़ा है। राजस्थान की माटी में जन्मी इस महान संत-देवी ने न केवल आध्यात्मिक जगत को प्रकाशित किया, बल्कि समाज कल्याण के अनेकों कार्यों में अपना योगदान दिया।

उनकी महिमा अपरंपार है। मान्यता है कि माता करणी जी अपने भक्तों की हर पुकार सुनती हैं और उन्हें हर संकट से रक्षा करती हैं। उनके मंदिर में विचरण करने वाले चूहे (काबा) उनके प्रिय और पवित्र माने जाते हैं, जो उनकी दिव्य उपस्थिति का एहसास कराते हैं।

इस पावन दिवस पर, श्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ जी के शब्दों को दोहराते हुए, "माता करणी जी की कृपा सभी पर बनी रहे यही मंगलकामना है।"

आइए, हम सभी इस अवसर पर माता के चरणों में अपना शीश नवाएं और उनसे प्रार्थना करें कि हमारे जीवन से अज्ञानता और नकारात्मकता का अंधकार दूर हो, और उनकी कृपा-रूपी ज्योति सदैव हमारे ऊपर बनी रहे।

माता करणी जी की जय!
सभी पाठकों को अवतरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

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