कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ - जुनून और जज़्बा ही खेल की असली ताकत है 🏏
कहते हैं ना कि सफलता उन्हीं के कदम चूमती है जिनके दिल में जुनून होता है और हौसले बुलंद होते हैं। भारत के लिए ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ इस कहावत की जीती-जागती मिसाल हैं।
उनकी कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की कहानी नहीं है; यह एक सैनिक, एक पिता और एक सच्चे देशभक्त की कहानी है। सेना में एक ऑफिसर होने के नाते अनुशासन तो उनके खून में ही था, लेकिन जिस चीज़ ने उन्हें महान बनाया, वह था उनका जज़्बा।
सोचिए, एक व्यक्ति जो देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए टारगेट प्रैक्टिस करता था, वही दुनिया के सबसे बड़े स्पोर्ट्स इवेंट में देश का झंडा बुलंद करने पहुंच गया। यह कोई छोटी बात नहीं है। इसके पीछे है अथक मेहनत और एक लक्ष्य के प्रति दीवानगी।
जुनून ही है कुंजी
कर्नल राठौड़ ने साबित किया कि ताकत सिर्फ शारीरिक नहीं होती। असली ताकत तो मानसिक होती है। वह जुनून जो आपको रातों की नींद और दिन का चैन छीन ले, वही आपको महान बनाता है। चाहे वह खेल का मैदान हो या जीवन का, बिना जुनून और जज़्बे के सफलता का स्वाद अधूरा है।
उनकी सफलता ने भारत में निशानेबाज़ी जैसे खेल को एक नई पहचान दी। उन्होंने युवाओं को दिखाया कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी लक्ष्य, चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, हासिल किया जा सकता है।
सीख (The Takeaway)
कर्नल राठौड़ का सफर हमें यही सिखाता है कि चाहे हालात कैसे भी हों, अपने जुनून को कभी मरने मत दो। फर्क सिर्फ इतना है कि कुछ लोग सपने देखकर रुक जाते हैं, और कुछ उन्हें पूरा करके दम लेते हैं। आप कौन बनना चाहते हैं?
आज ही अपने अंदर के उस जुनून को पहचानिए और उसे जिंदा कीजिए। क्योंकि, जुनून और जज़्बा ही हर जंग जीतने की असली ताकत है।
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