जन धन से जन-जन तक: 11 सालों की वित्तीय समावेशन की अद्भुत यात्रा URL Slug: jan-dhan-yojana-11-saal-vittiya-samavesh
हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं हमारे गाँव, कस्बों और शहरों के मेहनतकश लोग। लेकिन एक लंबे समय तक, इनमें से करोड़ों लोग बैंकिंग व्यवस्था के दायरे से बाहर थे। उनके पास कोई बैंक खाता नहीं था, उनकी बचत घर के कोने में रखे डब्बे में सिमटी रह जाती थी, और वे वित्तीय सुरक्षा के लिए साहूकारों पर निर्भर थे।
28 अगस्त 2014 को माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इस स्थिति को बदलने की ठानी और प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) की शुरुआत की। इसका लक्ष्य सरल था परंतु क्रांतिकारी: "जन धन से जन-जन तक" – यानि हर परिवार का एक बैंक खाता।
आज, 11 साल बाद, यह योजना सिर्फ एक सरकारी Initiative नहीं, बल्कि वित्तीय समावेशन का एक जीता-जागता स्मारक बन चुकी है।
कुछ आँकड़े जो इतिहास रचते हैं:
- 50 करोड़ से अधिक खाते खोले जा चुके हैं। 
- इन खातों में ₹2 लाख करोड़ से अधिक की जमा राशि है। 
- लगभग 55% खाताधारक महिलाएं हैं। 
- लगभग 67% खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं। 
सिर्फ एक खाता नहीं, एक सशक्तिकरण का माध्यम:
जन धन योजना की खूबसूरती इसकी सादगी और एकीकृत दृष्टिकोण में है। यह सिर्फ एक जीरो-बैलेंस खाता नहीं था, बल्कि इसके साथ ही लोगों को रुपे डेबिट कार्ड, दुर्घटना बीमा, ओवरड्राफ्ट की सुविधा और बाद में मोबाइल बैंकिंग जैसी सुविधाएं मिलीं।
इसने डिजिटल इंडिया की नींव रखी। जन धन खाते, आधार और मोबाइल नंबर के त्रिकोण (JAM Trinity) ने सीधे लाभ अंतरण (DBT) को सफल बनाया। आज, सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे गरीबों के खाते में पहुँचता है, जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा और पारदर्शिता बढ़ी।
एक उज्ज्वल भविष्य का निर्माण:
11 साल पहले जो बीज बोया गया था, वह आज एक विशाल वटवृक्ष बन चुका है। यह योजना देश के आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति को वित्तीय सुरक्षा और स्वावलंबन का एहसास दिला रही है। यह महिला सशक्तिकरण, छोटे उद्यमियों को बढ़ावा और एक न्यायसंगत समाज के निर्माण का सशक्त माध्यम बनी है।
माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में शुरू हुई यह यात्रा न केवल जारी है, बल्कि हर नए दिन नई ऊँचाइयों को छू रही है। #11YearsOfJanDhan सिर्फ एक हैशटैग नहीं, बल्कि भारत के नवनिर्माण की एक गाथा है।

 
 
 
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