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22 साल की उम्र और 120 जवानों की जिम्मेदारी: राज्यवर्धन राठौड़ की कहानी

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कभी-कभी ऐसी कहानियाँ सुनने को मिलती हैं जो सिर्फ इतिहास नहीं, प्रेरणा बन जाती हैं। ऐसी ही एक कहानी है कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की। एक ओलंपियन, एक सांसद, एक मंत्री रह चुके राज्यवर्धन सिंह की पहचान का सबसे मजबूत पहलू उनका सेना का जवान होना है। उन्होंने एक इंटरव्यू में 1993 की उस घटना का जिक्र किया था, जो उनके और उनकी यूनिट के हौसले और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक है। साल 1993 था। कश्मीर घाटी में आतंकवाद अपने चरम पर था। और उस समय कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ सिर्फ  22 साल  के थे। इस उम्र में जहाँ ज्यादातर युवा अपने करियर की दिशा तलाश रहे होते हैं, वह  120 पक्के, अनुभवी और युद्ध में सिद्ध जवानों की टुकड़ी की कमान संभाल रहे थे। इतनी बड़ी जिम्मेदारी के साथ एक और बात का बोझ उनके कंधों पर था - अपने जवानों की सुरक्षा। उन्होंने अपने सैनिकों से एक वादा किया:  "मेरे साथ पूरे विश्वास से चलो, और मैं तुम्हें तुम्हारे परिवारों के पास जीवित लेकर जाऊँगा।" यह कोई साधारण वादा नहीं था। यह एक नेता का अपनी टीम के प्रति संकल्प था। और फिर क्या था? वे और उनकी टीम कश्मीर घाटी में आतंकवादियों के खिल...

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने किया सरदार @150 यूनिटी मार्च का निरीक्षण, जयपुर में कल है ऐतिहासिक कार्यक्रम!

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  नमस्कार पाठकों! आज जयपुर में एक बहुत ही खास और ऊर्जावान माहौल है। कल यानी [तारीख डालें] को होने वाले "सरदार @150 यूनिटी मार्च" की सभी तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं। इस ऐतिहासिक मार्च की तैयारियों का जायजा लेने आज हमारे सांसद, कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ जी पहुँचे। कर्नल राठौड़ ने मार्च के पूरे रूट, सुरक्षा व्यवस्था, और लॉजिस्टिक्स का बारीकी से निरीक्षण किया। उन्होंने इस event को सफल बनाने के लिए जुटे सभी कर्मचारियों, स्वयंसेवकों और अधिकारियों का हौसला भी बढ़ाया। यह "सरदार @150 यूनिटी मार्च" भारत के लौह पुरुष, सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य देश की अखंडता और एकता के संदेश को जन-जन तक पहुँचाना है। जयपुर के लोगों के लिए यह एक शानदार अवसर है कि वे इस महान विरासत का हिस्सा बनें और राष्ट्रीय एकजुटता का अपना समर्थन दिखाएं। कर्नल राठौड़ ने कहा कि, "सरदार पटेल का सपना मजबूत और एकजुट भारत का था। यह मार्च उन्हीं के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने का एक प्रयास है। मैं सभी जयपुरवासियों से इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर ह...

प्रवासी राजस्थान दिवस: दुनिया भर में बसे राजस्थानियों का गौरव और जुड़ाव

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आज का दिन राजस्थान के लिए एक और सकारात्मक पहल की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। मैंने आज प्रवासी राजस्थान दिवस की तैयारियों पर चर्चा करने के लिए अधिकारियों के साथ एक उत्पादक बैठक आयोजित की। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य उन सभी तैयारियों को अंतिम रूप देना था, जो हमारे वैश्विक राजस्थानी समुदाय के लिए इस कार्यक्रम को यादगार बनाने के लिए आवश्यक हैं। प्रवासी राजस्थान दिवस केवल एक कार्यक्रम नहीं है; यह हर उस राजस्थानी की भावना का जश्न है, जो चाहे दुनिया के किसी भी कोने में रहता हो, लेकिन उसका हृदय अपनी माटी के प्रति समर्पित है। बैठक के दौरान, हमने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की: कार्यक्रम के एजेंडे और मुख्य आकर्षणों को finalize किया गया। दुनिया भर से राजस्थानी प्रतिभागियों के आने की व्यवस्थाओं पर विचार किया गया। राज्य की समृद्ध संस्कृति, कला और व्यापार के अवसरों को प्रभावी ढंग से प्रदर्शित करने की योजना बनाई गई। हमारा लक्ष्य स्पष्ट है - दुनिया के हर कोने में बैठे राजस्थानी को यह एहसास दिलाना कि राजस्थान उनके सपनों, उनकी उपलब्धियों और उनकी विरासत पर गर्व करता है। यह दिवस उनके साथ हम...

कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का आह्वान: खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स को जन-जन का उत्सव बनाएं!

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नमस्कार दोस्तों, भारत में खेलों की बदलती तस्वीर में एक और सुनहरा अध्याय जुड़ने जा रहा है। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स देश के युवा तारकों को राष्ट्रीय मंच प्रदान करने का एक शानदार अवसर है। लेकिन इस बार, इस आयोजन को सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि एक जन-आंदोलन बनाने की तैयारी है। हमारे पूर्व ओलंपियन और केंद्रीय मंत्री  कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़  जी ने एक महत्वपूर्ण और सराहनीय पहल की है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि आगामी खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के आयोजन में  जनप्रतिनिधियों की सक्रिय सहभागिता  सुनिश्चित की जाए। लेकिन यह कदम इतना महत्वपूर्ण क्यों है? स्थानीय जुड़ाव:  जब स्थानीय सांसद, विधायक और जनप्रतिनिधि इन खेल आयोजनों से जुड़ेंगे, तो उनके क्षेत्र की जनता का भी इसके प्रति एक अलग ही स्तर का लगाव और उत्साह पैदा होगा। यह खेल को 'दिल्ली की चीज़' नहीं, बल्कि 'हमारे यहाँ की चीज़' बना देगा। संसाधनों का इष्टतम उपयोग:  जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र के संसाधनों, बुनियादी ढाँचे और प्रशासनिक तंत्र को बेहतर ढंग से समन्वित कर सकते हैं, जिससे आयोजन और भी सुचारू और भव्...

स्वामी दयानन्द सरस्वती: सत्य, शिक्षा और सामाजिक जागृति के अमर अग्रदूत

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आज उस महान विभूति, आर्य समाज के संस्थापक और महान समाज सुधारक स्वामी दयानन्द सरस्वती जी की पुण्यतिथि है। इस पावन अवसर पर हम उन्हें कोटिशः नमन करते हैं। स्वामी जी का सम्पूर्ण जीवन एक ऐसी मशाल की तरह था, जिसने अंधकार में भटकते समाज को सत्य का मार्ग दिखाया। उन्नीसवीं सदी का भारत जहाँ कुरीतियों, अंधविश्वासों और सामाजिक विषमताओं में जकड़ा हुआ था, वहाँ स्वामी दयानन्द ने 'वेदों की ओर लौटो' का ओजस्वी नारा दिया। यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी आह्वान था। सत्य के प्रति अटल प्रतिबद्धता उनका मानना था कि वेद ही सत्य के सर्वोच्च और अपरिवर्तनीय स्रोत हैं। उन्होंने मूर्ति पूजा, कर्मकांड और छुआछूत जैसी प्रथाओं का डटकर विरोध किया। उनकी दृष्टि में, ईश्वर एक है, निराकार है, और उसकी उपासना का मार्ग सीधा और सरल है। उनकी यह साहसिक स्थिति उस युग में एक चुनौती थी। शिक्षा और नारी जागृति के पुरोधा स्वामी दयानन्द ने शिक्षा को सामाजिक उत्थान की आधारशिला माना। उन्होंने न केवल महिलाओं और शूद्रों के लिए शिक्षा की वकालत की, बल्कि आधुनिक और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दिया। उनके प्रयासों ने देश में शिक्षा...

प्रमोद महाजन जी की जयंती: एक कुशल संगठनकर्ता और राष्ट्रनिर्माता को सादर नमन

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आज भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, कुशल संगठनकर्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय श्री प्रमोद महाजन जी की जयंती है। इस अवसर पर हम सब उन्हें सादर नमन करते हैं और उनके अतुल्य योगदान को याद करते हैं। प्रमोद महाजन जी राजनीति के वो दिग्गज थे जिन्होंने अपनी प्रखर बुद्धि और रणनीतिक सोच से न सिर्फ पार्टी बल्कि देश के विकास में एक अमिट छाप छोड़ी। वे केवल एक नेता ही नहीं, बल्कि एक विजनरी थे। उन्होंने 21वीं सदी के भारत की संभावनाओं को बहुत पहले ही भांप लिया था, खासकर दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में। जनसेवा के प्रति समर्पण: उनका जनसेवा के प्रति समर्पण अद्वितीय था। मंत्री के रूप में उन्होंने जो नीतियाँ बनाईं, उनका उद्देश्य आम आदमी के जीवन में तकनीक की पहुँच को सरल बनाना था। उनके प्रयासों ने ही भारत में मोबाइल फोन क्रांति की नींव रखी। संगठन निर्माण में योगदान: एक कुशल संगठनकर्ता के रूप में, उनकी भूमिका अविस्मरणीय है। उन्होंने पार्टी को मजबूत करने और उसे जन-जन तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी रणनीतिक सोच और जमीनी स्तर पर काम करने का हुनर ही उनकी सबसे बड़ी ताकत थी। राष्ट्र के...

डॉ. होमी जहांगीर भाबा: वह दूरदर्शी जिसने भारत को अणु-शक्ति दी

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नमस्कार पाठकों, आज का दिन भारतीय विज्ञान के इतिहास में एक स्वर्णिम अक्षरों में लिखे जाने योग्य नाम को याद करने का दिन है। आज हम सभी 'भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक', महान वैज्ञानिक और पद्मभूषण से सम्मानित,  डॉ. होमी जहांगीर भाबा  की जयंती मना रहे हैं। उनके प्रति मेरा सादर नमन। डॉ. भाबा सिर्फ एक वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी राष्ट्र-निर्माता थे। उन्होंने कल्पना की थी कि एक स्वतंत्र भारत को वैज्ञानिक और तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर होना ही होगा। उनका मानना था कि परमाणु ऊर्जा देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और उसके विकास को गति देने के लिए एक शक्तिशाली माध्यम बन सकती है। उनके इसी सपने और दृढ़ संकल्प का परिणाम था  भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC)  और  भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग  का गठन। उन्होंने 'तीन चरण का भारतीय परमाणु कार्यक्रम' की नींव रखी, जो आज भी हमारे लिए मार्गदर्शक है। यह कार्यक्रम ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ सैन्य सुरक्षा का भी एक मजबूत आधार बना। लेकिन डॉ. भाबा की विरासत सिर्फ प्रयोगशालाओं और रिएक्टरों तक सीमित नहीं है। उनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण, ...